काबुल : पाकिस्तान किस हद तक दगाबाजी कर सकता है, ये तो सभी को पता है। अब अफगान की पुलिस ने इसे और भी पुख्ता कर दिया है। अफगानिस्तानी न्यूज चैनल के अनुसार, पुलिस चीफ सैयद कमाल सादत ने यह जानकारी दी कि मजार-ए-शरीफ में भारत के वाणिज्यिक दूतावास पर हमले में पाकिस्तानी आर्मी भी शामिल थी।
सादत ने कहा कि हमने अपनी आँखो से देखा और 99 प्रतिशत दावे के साथ कह सकता हूँ कि भारतीय दूतावास पर हमला करने वाले पाकिस्तानी सेना से थे। उन्होंने यह भी कहा कि उन लोगों ने हमले के लिए विशेष रणनीति बनाई थी। पुलिस चीफ ने कहा कि हमलावर सीमा पार से आए थे और वो अच्छी तरह से प्रशिक्षित सैन्यकर्मी थे, जिन्होने 25 घंटे के घेराव के दौरान अफगान पुलिस से संघर्ष किया।
सादत ने कहा कि जिन लोगों ने हमलावरों को भारतीय दूतावास के सामने वाले मकान तक पहुंचने में मदद की, उसका पता लगाने की कोशिश की जा रही है, उनका पता लगाने और हिरासत में लेने की कोशिश जारी है। सादत ने यह भी बताया कि हम एनडीएस निदेशक के साथ मिलकर काम कर रहे है। ऐसा इसलिए क्यों कि जो लोग यहां आए थे, वो दारी या पश्तो भाषा में नही बोल पा रहे थे, बल्कि उनकी जूबान उर्दू थी। इससे यह साफ होता है कि किसी ने तो इन हमलावरों को रास्ता दिखाया था।
बता दें कि 3 जनवरी को आतंकियों ने अफगानिस्तान के भारतीय वाणिज्यिक दूतावास को बर्बाद करने की कोशिश की गई थी। इसके बाद हमलावरों और सुरक्षा बलों के बीच लंबी मुठभेड़ चली थी। 4 जनवरी को सभी हमलावर मारे गए। इस हमले में एक पुलिस कर्मी की भी जान चली गई। साथ ही 3 आम नागरिक व 9 अनय लोग घायल हो गए थे। हमलावरों ने मरने से पहले दीवार पर लिखा था कि यह मसूद अजहर का इंतकाम है।