'परवेज मुशर्रफ को सजा-ए-मौत..', पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट का फैसला, लेकिन पूर्व राष्ट्रपति तो पिछले साल ही मर चुके..!

'परवेज मुशर्रफ को सजा-ए-मौत..', पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट का फैसला, लेकिन पूर्व राष्ट्रपति तो पिछले साल ही मर चुके..!
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इस्लामाबाद: पाकिस्तान गजब है, जो पूरी दुनिया में कहीं नहीं होता, वो यहाँ होता है। यहाँ का कोई भी प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सका है, पीएम पर भ्रष्टाचार के इल्जाम लगते हैं, उन्हें जेल होती है, या फिर उनकी हत्या कर दी जाती है। तो कभी नवाज़ शरीफ जैसे नेता, जो भ्रष्टाचार के मामले में देश छोड़कर भाग चुके थे, वो वापस लौटकर प्रधानमंत्री पद की दावेदार हो जाते हैं और इमरान खान जेल पहुँच जाते हैं। अब इसी पाकिस्तान से एक और अजीब मामला सामने आया है। अक्सर हमने देखा है कि, आरोपित की मौत के बाद उसपर चल रहा मुकदमा बंद हो जाता है, लेकिन पाकिस्तान में ऐसा नहीं है। 

पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (10 जनवरी) को पूर्व राष्ट्रपति जनरल (सेवानिवृत्त) परवेज मुशर्रफ की मौत की सजा पर सुनवाई भी की और उस सजा को बरकरार भी रखा। हालाँकि, मुशर्रफ पिछले साल ही दुनिया छोड़कर जा चुके हैं। आरोप लगाए जाने के समय भी वो पाकिस्तान में नहीं थे, वो 2016 से दुबई में रह रहे थे और वहीं 5 फ़रवरी 2023 को उनका इंतकाल हो गया, लेकिन पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट में उनकी सजा पर बहस चलती रही। पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश (CJP) काजी फ़ैज़ ईसा की अध्यक्षता वाली चार सदस्यीय पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति मंसूर अली शाह, न्यायमूर्ति अमीनुद्दीन खान और न्यायमूर्ति अतहर मिनल्लाह शामिल थे, ने इस मामले की सुनवाई की।

17 दिसंबर, 2019 को एक विशेष अदालत ने फैसला सुनाया था की मुशर्रफ को मौत की सजा दी जानी चाहिए। यह फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि जिस दौरान पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N) की सरकार थी, उस दौरान उनके खिलाफ 'उच्च राजद्रोह' का मामला दर्ज किया गया था। इसका कारण नवंबर 2007 में मुशर्रफ का आपातकाल घोषित करने का फैसला था, जिसे असंवैधानिक माना गया था। हालाँकि, पाकिस्तान मुशर्रफ को वापस तो नहीं ला सका। लेकिन लाहौर HC के फैसले को पाकिस्तान बार काउंसिल और तौफीक आसिफ सहित कई वरिष्ठ वकीलों ने चुनौती दे दी।

अब मुशर्रफ की मौत के एक साल बाद बुधवार को अदालत ने उन्हें मिली मौत की सजा के खिलाफ दायर याचिका पर अपना फैसला सुनाया।  अदालत ने कहा कि अपील आवश्यक मानकों को पूरा नहीं करती है और परिणामस्वरूप, मौत की सज़ा बरकरार रहेगी। लेकिन, अब सजा मिलेगी किसको, मुशर्रफ तो जा चुके।  

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