आज मंगलवार है और आज के दिन हनुमान जी का पूजन किया जाता है। ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं वो कथा जिससे आपको यह पता चलेगा कि हनुमान जी ने क्यों लिया था पंचमुखी अवतार?
हनुमान जी ने क्यों लिया था पंचमुखी अवतार- रामायण के प्रसंग के अनुरूप, लंका युद्ध के समय जब रावण के भाई अहिरावण ने अपनी मायवी शक्ति से स्वयं भगवान श्री राम और लक्ष्मण को मूर्क्षित कर पाताल लोक लेकर चला गया था। जहां अहिरावण ने पांच दिशाओं में पांच दिए जला रखे थे। उसे वरदान था कि जब तक कोई इन पांचों दीपक को एक साथ नहीं बुझएगा, अहिरावण का वध नहीं होगा। अहिरावण की इसी माया को सामाप्त करने के लिए हनुमान जी ने पांच दिशाओं में मुख किए पंचमुखी हनुमान का अवतार लिया और पांचों दीपक को एक साथ बुझाकर अहिरावण का वध किया। इसके फलस्वरूप भगवान राम और लक्ष्मण उसके बंधन से मुक्त हुए।
पंचमुखी हनुमान के पांचों मुख का महत्व- कहा जाता है पंचमुखी हनुमान जी के पांचों मुख पांच अलग-अलग दिशाओं में हैं एवं इनके अलग-अलग महत्व हैं।
वानर मुख: यह मुख पूर्व दिशा में है जो दुश्मनों पर विजय प्रदान करता है।
गरुड़ मुख: यह मुख पश्चिम दिशा में है जो जीवन की रुकावटों और परेशानियों का नाशक है।
वराह मुख: यह मुख उत्तर दिशा में है जो लंबी उम्र, प्रसिद्धि और शक्ति दायक है।
नृसिंह मुख: यह दक्षिण दिशा में है, जो डर, तनाव व मुश्किलें दूर करता है।
अश्व मुख: यह मुख आकाश की दिशा में है जो मनोकामनाएं पूरी करता है।
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