आप सभी ने अब तक महाभारत के कई किस्से, कहानियां, पाठ पढ़ें होंगे. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे है महाभारत से जुड़ा एक रोचक किस्सा जिसे जानने के बाद आप हैरान रह जाएंगे. जी हाँ, यह पौराणिक कटहा के अनुसार है. इस कथा में यह बताया गया है कि पांडवों ने द्रौपदी को लेकर एक खास नियम बनाया था जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं. आज हम आपको उसी के बारे में बताने जा रहे हैं. आइए बताते हैं.
कथानुसार - द्रौपदी से शादी रचाने के बाद एक दिन नारद मुनि पांडवों से मिलने आए तो नारद जी ने पांडवों को कहा था कि प्राचीन समय में सुंद-उपसुंद नाम के दो राक्षस भाई थे जिन्होंने अपने पराक्रम से कई देवताओं को भी जीत लिया था. लेकिन एक महिला की वजह से दोनों में लड़ाई हो गई. इसके बाद दोनों ने एक-दूसरे का वध कर दिया, ऐसी स्थिति तुम्हारे साथ न हो इसलिए कोई न कोई नियम बनाओ. नारद मुनी ने ये नसीहत पांडवों को दिया था. नारद मुनी के सलाह के बाद पांडवों ने एक नियम बनाया कि द्रौपदी एक नियमित समय तक ही एक भाई के पास रहेगी.
जब एक भाई द्रौपदी के साथ अकेले में होगा तो वहां दूसरा भाई नहीं जाएगा. यदि कोई भाई इस नियम को तोड़ता है तो उसे वनवास काटना पड़ेगा. कहा जाता है कि एक बार जब युधिष्ठिर द्रौपदी के साथ एकांत में थे तभी अर्जुन के पास एक व्यक्ति रोता हुआ आया और बोला कि ‘मेरी गाय डाकू ले गए हैं आप मेरी सहायता कीजिए’ उस समय सारे अस्त्र-शस्त्र युधिष्ठिर के कक्ष में रखे थे, जहां वो द्रौपदी के साथ मौजूद थे. ऐसे में अर्जुन ने उस व्यक्ति की मदद करने के लिए कमरे में प्रवेश कर लिया, इसके कारण नियम टूट गया और अर्जुन को वनवास जाना पड़ा था.
आपको बता दें कि जब एक बार सत्यभामा ने द्रौपदी से पूछा कि आप सभी पांडवों को कैसे खुश रखती हैं तो द्रौपदी ने कहा कि ‘मैं अहंकार, काम, क्रोध को छोड़कर बड़ी ही सावधानी से सभी पांडवों की सेवा करती हूं, पति के अभिप्राय को पूर्ण संकेत समझकर अनुसरण करती हूं इसीलिए मेरा मन पांडवों के सिवाय कहीं नहीं जाता और उनके स्नान किए बिना मैं स्नान नहीं करती.
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