15 साल बाद जिले में नजर आया पैंगोलिन,बड़े पैमाने पर होती है तस्करी

15 साल बाद जिले में नजर आया पैंगोलिन,बड़े पैमाने पर होती है तस्करी
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टीकमगढ़। जिले के बल्देवगढ़ सब रेंज के पटोरी के जंगलो में सोमवार के दिन पैंगोलिन देखा गया।  स्थानीय लोगो ने वन विभाग की टीम को इसकी  जानकारी दी। जानकारी मिलते ही वन विभाग से  डिप्टी रेंजर संजय शर्मा अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंच गए।  उन्होंने जंगल से पैंगोलिन को सुरक्षित रेस्क्यू किया। 

डिप्टी रेंजर संजय शर्मा के अनुसार पैंगोलिन की जानकारी मिलते ही वनरक्षक हर्ष तिवारी अपनी टीम के साथ मौके पर भेजा गया।  वनरक्षक की टीम ने पटोरी गांव के जंगल से पेंगोलिन  को सुरक्षित किया गया और उसे टीकमगढ़ ले जाया  गया। अधिकारिओ के आदेश पर पेंगोलिन को सुरक्षित वन क्षेत्र में छोड़ दिया गया   है। आधकारियो का कहना है की करीब 15 साल बाद टीकमगढ़ में पैंगोलिन को पुलिस लाइन क्षेत्र  में देखा गया था।  बड़े लम्बे  समय  के बाद पैंगोलिन को दोबारा जिले में देखा गया। 
 
वन रक्षक हर्ष तिवारी के मुताबिक पेंगोलिन एक स्तनधारी  है।  हिंदी में इसे वज्रशल्क भी खा जाता है। इसके शरीर पर केराटिन के बने शल्क नुमा संरचना होती है। जिसकी वजह से अन्य प्राणियों से अपनी रक्षा करते है। पैंगोलिन ऐसे शल्कों वाला अकेला ज्ञात स्तनधारी प्राणी  है। यह अफ्रीका और ऐशियां में आमतौर पर पाए जाते है। इसे भारत में सल्लू सैप भी कहा जाता है। यह जहां निवास करते है वो वन शीघ्र ही कट ते जारे है  और अंधविश्वासी प्रथाओं की वजह से अक्सर इनका शिकार भी किया जाता है। जिसकी वजह से पैंगोलिन की सभी जातियां अब संकटग्रस्त मानी जाती हैं। इन पर विलुप्ति का खतरा मंडरा रहा है।

वन विभाग के डिप्टी रेंजर संजय शर्मा के अनुसार पेंगोलिन  की तस्करी भारी रूप से की जाती है। इसलिए आज जिस वन क्षेत्र में पेंगोलिन को छोड़ा गया है, वहां की जानकारी सीक्रेट रखी गई है। ताकि इस विलुप्त हो रहे प्राणी की प्रजाति को संरक्षित और सुरक्षित किया जा सके।

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