युवा संसद कार्यक्रम के दौरान युवाओं को संबोधित करते हुए युवा नेता, पंकज पाण्डेय ने कहा कि सरकारी नीतियों को विकसित करने और लागू करने में सरकार का बहुत पैसा खर्च होता है पर जनता और सरकार के बीच संवाद के अभाव के कारण अक्सर आम जनता उन कार्यक्रमों से लाभान्वित नहीं हो पाती है। झारखंड सरकार और राज्य के युवाओं के बीच इसी संवाद की खाई को पाटने के लिए, हम "युवा को पूछो" अभियान शुरू करेंगे। इस अभियान की मदद से, ऐसे तंत्र विकसित किए जायेंगे जिससे सरकारी योजनाओं के बनने के दौरान ही राज्य के युवाओं से इन योजनाओं पर उनकी राय पूछी जा सके और योजना बनने से लेकर उसके क्रियान्वन तक उन सुझावों के ध्यान में रखते हुए मानक तय किए जा सकें|
पंकज पाण्डेय ने आगे कहा कि COVID-19 युग के दौरान, सभी ने अपनी मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए संघर्ष किया और कमी का सामना किया। इसी दौरान हमने "युवा को जोड़ो" अभियान शुरू करने का फैसला किया। इस अभियान के तहत हमने कई व्हाट्सएप ग्रुपों के लिंक पोस्ट करके युवाओं से साथ आने और एक दुसरे की मदद करने की अपील की, परिणामस्वरूप सभी युवा साथ आए और एक दुसरे के साथ व्यापार और अपनी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए उठाए गये कदमों को शेयर करने लगे, इसी क्रम में इन्होंने कई सरकारी योजनाओं के सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं पर भी चर्चा की, यही वो वक्त था जब हमने समझा कि यदि युवाओं को सरकारी नीतियों के निर्माण व् समन्वय के समय ही सरकार अपनी साझेदार बना ले तो वे अपने तकनीकी ज्ञान से सरकारी योजनाओं के क्रियान्वन को ज्यादा प्रभावशाली और जनता के लिए ज्यादा लाभकारी बना सकते हैं|
पंकज पाण्डेय ने चर्चा के दौरान कहा कि राज्य स्तर पर इन लक्ष्यों को हासिल करना काफी आसान है, राज्य की जनता के लिए एक नई नीति बनाने से पहले राज्य सरकार युवाओं के साथ परामर्श कर सकती है, और प्रौद्योगिकी के युग में ऐसा करना काफी आसान भी है। "युवा को जोड़ो" अभियान इस बात का प्रमाण है कि लोगों को सरकारी कार्यक्रमों से अधिक लाभ होगा यदि उन्हें बनाने से पहले युवाओं से परामर्श किया जाए क्योंकि आज के युवा तकनीकी रूप से ज्यादा मजबूत और प्रभावशाली हैं| इसका एक दूसरा पक्ष यह भी है कि सरकार उस खर्च से बच जाएगी जिसका इस्तेमाल अखबारों और दुसरे प्रचार माध्यमों के द्वारा प्रायः इस बात को प्रचारित करने के लिए किया जाता है कि कौन सी सरकारी योजनायें किस उद्देश्य से बनाई गई है और जनता इसका लाभ कैसे उठा सकती है| इसलिए राज्य सरकार को अब एक नई पहल करने की आवश्यकता है क्यूंकि झारखंड को अलग राज्य का दर्जा मिलने के 22 वर्षों के बाद और इतनी मात्रा में लोककल्याणकारी योजनाओं के होने के बावजूद भी राज्य की जनता अभीतक दोयम दर्जे का जीवन जीने के लिए बेबस है|
युवाओं को संबोधित करते हुए पंकज पाण्डेय ने अपने राजनीतिक जीवन पर भी विस्तार से चर्चा की, उन्होंने बताया कि राजनीतिक विज्ञान की पढाई करते हुए वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् में शामिल हुए और शैक्षिक और विश्वविद्यालय सुधार जैसे युवाओं के मुद्दे पर काम किया और इसे सरकार द्वारा बेहतर तरीके से लागू कराने के लिए कई आंदोलन भी किए| उन्होंने बताया कि जब वे झारखंड विकास मोर्चा पार्टी में केंद्रीय मीडिया प्रभारी के रूप में काम कर रहे थे उस वक्त भी उन्होंने शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़ा करते हुए कहा था कि “स्कूलों में छात्र खिचड़ी खाने जाते हैं और कॉलेजों में डिग्री पाने” जिसके कारण डिग्रीधारी शिक्षित युवाओं के शिक्षा का स्तर लगातार गिरता जा रहा है और यह न सिर्फ बेरोजगारी को बढ़ावा दे रहा है बल्कि भारत के आर्थिक-सामाजिक विकास पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा कर रहा है, इसलिए यदि भारत को हम विश्वगुरु के रूप में देखना चाहते हैं तो इस विषय पर हमें चिंता करनी होगी|
पंकज पाण्डेय ने आगे बताया कि युवा के मुद्दों के साथ-साथ वे भारतीय सेना के अमर जवानों के परिवार के लिए भी काम करते हैं क्यूंकि यदि सेना का कोई जवान सीमा पर युद्ध करते हुए अपने प्राणों की आहुति देता है तो यह पुरे समाज की जिम्मेदारी है कि हम उनके परिवारों को आर्थिक-सामाजिक सुरक्षा मुहैया कराएँ और इसी दिशा में काम करने के लिए हमने युवाओं का एक संगठन “राष्ट्रीय युवा शक्ति” बनाया है| हमारे संगठन में कार्य करने वाले सभी समर्पित युवा शहीद परिवारों से मिलकर उनकी समस्यायों की लगातार जानकारी लेते हैं और यह भी सुनिश्चित करते हैं कि उनकी समस्याओं का जल्द से जल्द समाधान मिले| हमारा संगठन इस विषय पर भी लगातार प्रयास कर रहा है कि शहीद परिवारों को राज्य सरकार से दी जानेवाली राशि को 10 लाख से बढ़ाकर 1 करोड़ किया जाए ताकि शहीद परिवार के बच्चों की शिक्षा-दीक्षा भी उनके आशा के अनुरूप हो सके|
वरिष्ठ पत्रकार आशीष दीक्षित नर्मदांचल पत्रकार संघ के अध्यक्ष मनोनीत
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