प्रत्येक वर्ष चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। पापमोचनी एकादशी के दिन प्रभु श्री विष्णु की पूजा करते हैं तथा व्रत रखते हैं। इस व्रत को करने से इंसान को कई जन्मों के पापों से मुक्ति प्राप्त होती है। पापमोचनी एकादशी की पौराणिक कथा में बताया गया है कि अप्सरा मंजुघोषा ने पापमोचनी एकादशी का व्रत करके पिशाच योनि से मुक्ति पाई। उसे अपने पापों से मुक्ति प्राप्त हुई थी। प्रभु श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को पापमोचनी एकादशी व्रत की अहमियत को समझाते हुए कथा भी सुनाई थी। आज 18 मार्च दिन शनिवार को पापमोचनी एकादशी है।
एकादशी और शनिवार के योग में करें ये काम:-
पापमोचनी एकादशी एवं शनिवार का संयोग होने से व्रती इस दिन शनि देव का तेल से अभिषेक करें। काले तिल, काली उड़क का दान करें। निर्धन लोगों को जूते-चप्पल भेंट करें। मान्यता है कि शनि देव जिस पर खुश हो जाएं उसके वारे न्यारे हो जाते हैं ऐसे में सुबह श्रीहरि एवं शाम को शनि देव की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होगी।
शनि देव को प्रसन्न करने के उपाय:-
शनि की महादशा, साढ़ेसाती या ढैया से निजात पाने के लिए शनिवार के दिन पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का चौमुखी दीपक जलाना चाहिए। तत्पश्चात, पीपल के पेड़ की कम से कम तीन बार परिक्रमा करनी चाहिए। ऐसा करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं। पापमोचनी एकादशी के दिन कौवे को अनाज खिलाएं। कौवा शनि देव का वाहन होता है। कौवे को भोजन कराने से शनि की साढ़ेसाती एवं ढैय्या के अशुभ प्रभाव में कमी आती है।
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