पटना: IAS अफसर जी कृष्णैया की हत्या के मामले में दोषी बिहार के बाहुबली नेता आनंद मोहन की रिहाई को लेकर राजनीतिक घमासान जारी है. IAS Association ने भी नीतीश सरकार की आलोचना करते हुए इस निर्णय को गलत बताया है. इसी बीच जन अधिकार पार्टी के चीफ पप्पू यादव ने आनंद मोहन का समर्थन किया है. पप्पू यादव ने IAS Association से प्रश्न पूछते हुए कहा, ''क्या है पहला मर्डर है, जो इतना हायतौबा हो रहा है?''
पप्पू यादव ने कहा, ''एक घटना घटी और वो दुर्घटना हो गई थी. आनंद मोहन जी 14 वर्ष काटने के पश्चात् बाहर आ रहे हैं. IAS अफसरों को बताना चाहिए कि क्या ये पहला मर्डर है? जो इतना बोल रहे हैं अभी? हायतौबा नहीं करना चाहिए.'' इतना ही नहीं पप्पू यादव ने जी कृष्णैया की पत्नी से अपील की है कि उन्हें आनंद मोहन को माफ कर देना चाहिए. बता दे कि ये घटना 5 दिसंबर 1994 की है। बिहार में एक गैंगस्टर के मारे जाने के पश्चात् मुजफ्फरपुर की जनता में आक्रोश था। इसी के चलते गोपालगंज की डीएम रहे जी। कृष्णैया अपनी सरकारी गाड़ी से उसी रास्ते से आ रहे थे। आक्रोशित भीड़ ने उन्हें लिंच किया था तथा DM को गोली भी मारी गई थी। आरोप था कि DM का क़त्ल करने वाले उस भीड़ को कुख्यात आनंद मोहन ने ही उकसाया था। यही कारण था कि पुलिस ने इस मामले में आनंद मोहन एवं उनकी पत्नी लवली समेत 6 व्यक्तियों को नामजद किया था। कृष्णैया की हत्या के मामले में आनंद मोहन को सजा हुई थी. 1994 के कलेक्टर हत्याकांड में आनंद मोहन सिंह को 2007 में फांसी की सजा सुनाई गई. 2008 में उच्च न्यायालय ने फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था.
वही अब उम्रकैद की सजा काट रहे आनंद मोहन को बिहार सरकार कारा अधिनियम में परिवर्तन करके जेल से रिहा करने जा रही है. बिहार सरकार ने कारा हस्तक 2012 के नियम 481 आई में संशोधन किया है. 14 वर्ष की सजा काट चुके आनंद मोहन की तय नियमों की वजह से रिहाई संभव नहीं थी. इसलिए ड्यूटी करते सरकारी सेवक की हत्या अब अपवाद की श्रेणी से हटा दिया गया है. पिछले 10 अप्रैल को ही परिवर्तन की अधिसूचना सरकार ने जारी कर दी थी. IAS एसोसिएशन ने ट्वीट कर कहा, आनंद मोहन ने आईएएस जी. कृष्णैया की नृशंस हत्या की थी. ऐसे में यह दुखद है. बिहार सरकार को जल्द से जल्द इस फैसला वापस लेना चाहिए. ऐसा नहीं होता है, तो ये न्याय से वंचित करने के समान है. इस प्रकार के फैसलों से लोग सेवकों के मनोबल में गिरावट आती है. हम प्रदेश सरकार से अपील करते हैं कि बिहार सरकार जल्द से जल्द इस पर पुनर्विचार करे.
आईएएस कृष्णैया की पत्नी का झलका दर्द:-
वही IAS कृष्णैया की पत्नी ने कहा कि एक ईमानदार अधिकारी का क़त्ल करने वाले को छोड़ा जा रहा है, इससे हम समझते हैं कि न्याय व्यवस्था क्या है? उन्होंने कहा कि राजपूत समुदाय समेत अन्य समुदायों में भी इस रिहाई का विरोध होना चाहिए। उसे रिहा नहीं किया जाना चाहिए, उसे दंडित किया जाना चाहिए तथा मौत की सजा दी जानी चाहिए। उमा देवी ने कहा कि 'मैं प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से इस मामले में हस्तक्षेप करने एवं इसे रोकने का अनुरोध करती हूं।'
जानिए आनंद मोहन ने क्या कहा?
वही दूसरी तरफ वहीं अपनी रिहाई के ठीक पश्चात् अपने एक इंटरव्यू में आनंद मोहन ने कहा कि, जो लोग मेरी रिहाई का विरोध कर रहे हैं, वह अदालत की अवमानना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि 2007 में उन्हें सजा मिली थी। फिर 2012 में एक एक्ट आया। इसके आधार पर ही उन्हें रिहाई मिली है। वैसे भी अजीवन कारावास का मतलब, जिंदगी भर नहीं होता है। इसका अर्थ होता है 20 वर्ष की सजा। आगे उन्होंने कहा, 'यदि किसी भी कैदी का आचरण अच्छा होता है तो 14 वर्ष की सजा काटने के पश्चात् उसे रिहा किया जा सकता है तथा अपने केस में मैं 15 वर्षों की सजा काट चुका हूं। डीएम जी। कृष्णैया की मौत पर आनंद मोहन ने कहा कि उनकी मौत का उन्हें भी दुख है।
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