कई बार आपने देखा होगा कि कई चीजों में एक ऐसी आकृति आपको नज़र आती है जिसे देखकर आपको उसके सजीव होने कि आंशका हो जाती है. जैसे पत्थरों, बादलों, दीवारों, घरों, भवनों, पेड़ो और भी अन्य चीजों को देर तक घूरते रहने पर आपको उनमें किसी इंसान का चेहरा, कोई जीव या कोई आकृति दिखती है जैसे वो जीवित हो. लेकिन जब यही चीज दूसरे किसी शख्स को आप बताते हैं तो उसे ऐसा कुछ नज़र नहीं आता है. यह एक मनोवैज्ञानिक घटना है जिसे विज्ञान की भाषा में पेरिडोलिया कहा जाता है.
पेरिडोलिया आपको कहीं भी किसी भी चीज पर अचंभित कर सकती है. जैसे आपको लकड़ी या बेल्ट का सांप के रूप में दिखना, भूत दिख जाना, किसी सब्जी या फल में आकृति दिखना. घबराइए नहीं हम आपको डरा नहीं रहे. इस मनोवैज्ञानिक घटना में कोई इंसान किसी अप्रत्याशित वस्तु में आकृति ढूढ़ने की कोशिश करता है जबकि वो एक साधारण चीज ही होती है. जो कई बार हमें जीवित लगने लगती है. लेकिन वास्तविकता में ऐसा कुछ नहीं होता है. यह सिर्फ हमारे दिमाग का भ्रम होता है.
जब आप किसी द्रश्य को अधिक देर तक देखते है तो हमारा दिमाग उसमें और अधिक आकृतियाँ बनाने लगता है और मेमोरी में सेव चित्रों से उनकी तुलना करता है जिससे कोई आकृति उसके जैसी मिल जाती है और हम उसे वही समझ बैठते हैं.
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