बृहस्पतिवार को दिवालिया कंपनियों को खरीदने वाले निवेशकों को आपराधिक मुकदमों से सुरक्षा प्रदान करने वाला दिवालिया संशोधन विधेयक (इंसॉल्वेंसी एंड बैंक्रप्सी अमेंडमेट बिल, 2020) राज्यसभा ने ध्वनिमत से मंजूरी दे दी. लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है. इस बिल ने अध्यादेश का स्थान लिया है.राज्यसभा में विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि विधेयक में संशोधन वक्त की जरूरत है. ये संशोधन सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ध्यान में रखकर किए गए हैं.
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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सबसे पहले यह बिल 2016 में लाया गया था. तबसे अब तक इसमें तीन बार संशोधन हो चुके हैं. बहस के दौरान ज्यादातर विपक्षी सदस्यों ने वित्तमंत्री से बार-बार परिवर्तन का कारण जानना चाहा था. साथ ही पूछा था कि रियलिटी कंपनियों तथा उनसे घर खरीदने वालों के लिए सरकार क्या कर रही है.
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इस मामले को लेकर वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार घर खरीदने वालों के हितों का ख्याल कर रही है. तथा रियल्टी फर्मो को फालतू मुकदमेबाजी से बचाने के लिए आइबीसी में खरीदारों की न्यूनतम संख्या की शर्त को शामिल किया गया है. बिल में खामियों को दूर कर कंपनियों को दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया को सुसंगत बनाया गया है. इसमें दिवालिया फर्म को खरीदने वाली नई कंपनी को दिवालिया फर्म के कृत्यों की सजा से बचाने के उपाय किए गए हैं.
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