राजकोट: पाटीदार अनामत आंदोलन के बाद से सौराष्ट्र के अधिकतर पाटीदार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से दूर होते दिखाई दिए हैं। प्रदेश सरकार ने इन्हें विमुख होते भी पाया है। हालांकि, अब पिछले कुछ वक़्त से भाजपा द्वारा सौराष्ट्र जिले में ओबीसी कार्ड खेला जा रहा है। साथ ही क्षत्रिय समाज पर भी फोकस किया जा रहा है। ऐसे में कई राजनीतिक जानकारों का मानना हैं कि आगामी लोकसभा चुनावों में पाटीदारों को दरकिनार करने का प्लान बनाया गया है।
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दरअसल, भाजपा द्वारा यह कार्ड उस समय खेलना शुरू हुआ, जब वर्ष 2017 के विधानसभा चुनावों में पार्टी पर पाटीदार आंदोलन का प्रभाव पड़ा। जिस इलाके में नुकसान हुआ था वहां के नेताओं को भाजपा ने अपने साथ जोड़ना आरम्भ कर दिया था। जिसके चलते गत कुछ समय से कांग्रेस के दिग्गज विधायक एक के बाद एक भाजपा का हाथ थाम रहे हैं। भाजपा से जुड़ने वाले अधिकतर नेता ओबीसी समाज के होने की वजह से पार्टी का यह ओबीसी कार्ड भी स्पष्ट हो रहा है।
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गुजरात में पाटीदार समाज के बाद दूसरा सबसे बड़ा वोट बैंक कोली समाज का माना जाता रहा है। जसदण के कुंवरजी बावलिया न केवल समाज में अग्रणी हैं, बल्कि समाज पर उनका काफी अच्छी पकड़ भी है। जिसके चलते भाजपा द्वारा सबसे पहले उनको अपने साथ मिला लिया गया है। भाजपा से जुड़ते ही उनको कैबिनेट में मंत्रीपद देकर भाजपा ने ओबीसी वोट बैंक पर कब्जा करना आरम्भ कर दिया है।
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