शादी कर सकेंगे और शारीरिक संबंध बना सकेंगे पादरी ! पोप फ्रांसिस बोले- 1000 साल पुराने नियमों की समीक्षा करेंगे

शादी कर सकेंगे और शारीरिक संबंध बना सकेंगे पादरी ! पोप फ्रांसिस बोले- 1000 साल पुराने नियमों की समीक्षा करेंगे
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नई दिल्ली: ईसाइयों के पॉप फ्रांसिस ने पादरियों के लिए बनाए गए नियम ‘सेक्स पर प्रतिबंध’ को अस्थाई करार दिया है। उनके अनुसार, चर्च के पादरियों को विवाह करने में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए। पोप फ्रांसिस ने कहा है कि पादरियों को शारीरिक संबंध बनाने से रोकने वाले चर्च के पुराने हो चले नियमों की समीक्षा की जाएगी। 86 वर्षीय पोप फ्रांसिस का यह बयान चर्च में होने वाली बाल शोषण जैसी वारदातों पर पादरियों की हो रही आलोचना के बाद आया है। उन्होंने चर्चों से भी नियमों में संशोधन की चर्चा का स्वागत करने का आग्रह किया है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पोप फ्रांसिस ने यह बयान अर्जेन्टीना के समाचार पत्र इंफोबे से बातचीत के दौरान दिया। पत्रकार ने पोप से जर्मनी के कैथोलिक चर्च द्वारा समलैंगिक विवाहों को मिल रही मान्यताओं और चर्चों में हो रही बच्चों के यौन शोषण की घटनाओं के संबंध में सवाल पुछा था। पोप के मुताबिक, 11वीं सदी में पादरियों के लिए बनाए गए नियम अनंत काल के लिए नहीं बने थे। उन नियमों को पसंद करना या न करना पोप ने लोगों की अपनी इच्छा पर छोड़ दिया।

इसी बातचीत में पोप फ्रांसिस ने सेक्स पर प्रतिबंध को एक अनुशासन करार दिया है। पोप फ्रांसिस के अनुसार, 11वीं सदी में रोमन कैथोलिक चर्चों ने जो भी नियम चर्च के पादरियों के लिए बनाए थे, वो सब उस वक़्त की आर्थिक आवश्यकताओं को ध्यान में रख कर बने थे। उनका मानना था कि बिना बाल-बच्चों का पादरी चर्च की भलाई पर ज्यादा ध्यान देगा। 11 वीं शताब्दी में रोमन कैथोलिक चर्च द्वारा ‘अविवाहित जीवन’ को सिर्फ वित्तीय वजहों से एक जरूरत के रूप में पेश किया गया था, क्योंकि बच्चों के बगैर पादरी चर्च को धन छोड़ने की ज्यादा संभावना रखते थे। उन्होंने आगे बताया है कि पूर्वी चर्चों में ज्यादातर पादरी विवाहित हैं। पोप के मुताबिक, दीक्षा से पहले भी विवाहित या कुँवारा रहने का विकल्प दिया जाता है।

तलाक के बढ़ रहे मामलों पर भी पोप फ्रांसिस ने अपनी राय रखी। उन्होंने कहा है कि ऐसा युवाओं द्वारा जल्दबाजी में शादी कर लेने वाले फैसले के चलते होता है। बता दें कि, पोप फ्रांसिस का यह बयान उनके खुद के वर्ष 2019 में दिए गए बयान का विरोधाभास है। उस समय पोप ने अविवाहित जीवन को एक उपहार बताते हुए चर्च के पादरियों को इसका पालन करने की सलाह दी थी।

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