नई दिल्ली: पतंजलि आयुर्वेद ने खुद की ब्रैंडिंग 'स्वदेशी' ब्रैंड रूप में की और खुद को विदेशी ब्रैंड का विकल्प बताया है, परन्तु अब यह कंपनी विदेशी कंपनियों के साथ सौदा करने के लिए तैयार हो गई है। कंपनी के सीईओ आचार्य बालकृष्ण ने इकनॉमिक टाइम्स से बातचीत में कहा कि 3-4 विदेशी कंपनियां है, जो पतंजलि के साथ इंटरनैशनल सौदे करना चाहती हैं।
आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि हम किसी मल्टी नैशनल कंपनी के विरोध में नहीं हैं, जब तक पतंजलि की वैल्यू के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं हुई हो| किसी कंपनी को इसलिए अस्वीकार नहीं जा सकता है, क्योंकि वह एक मल्टी नैशनल कंपनी है। बालकृष्ण ने कहा कि हमारी नजर इन तमाम सौदे पर है। पर उन्होंने किसी भी कंपनी का नाम बताने से मना कर दिया है। फ्रांस की लग्जरी कंपनी LMVH ने पिछले दिनों कहा था कि वह पतंजलि आयुर्वेद में शेयर खरीदने की इच्छुक है।
पतंजलि की वजह से हिन्दुस्तान यूनिलिवर (HUL), L'Oreal, कोलगेट और डाबर जैसी कंपनियों को आयुर्वेद प्रॉडक्ट सेगमेंट पर खास तोर पर फोकस करेगी, क्योंकि एक दशक के अंदर यह कंपनी देखते-देखते 10 हजार करोड़ की बन गई है। हालांकि नीलसन की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, पतंजलि के आयुर्वेद प्रॉडक्ट रेंज बाजार हिस्सेदारी में कमी आई है। साबुन, बालों में लगाने वाले तेल, सर्फ और नूडल्स की बिक्री जुलाई 2018 से जुलाई 2019 के बीच घट गई थी। HUL ने भी इस कैटिगरी में अपने आयुर्वेद प्रॉडक्ट को दोबारा से लॉन्च किया है। हालांकि कंपनी के सीईओ आचार्य बालकृष्ण का कहना है कि बिक्री में गिरावट जीएसटी की कारण से हुई है, लेकिन बिक्री में धीरे-धीरे सुधार शुरू हो गया है।
पेट्रोल के दामों में लगातार चौथे दिन बढ़ोतरी, डीजल की कीमत स्थिर
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने माना, मुश्किल दौर से गुजर रही भारतीय अर्थव्यवस्था
ई-कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ संगठन कैट ने किया राष्ट्रव्यापी आंदोलन छेड़ने का ऐलान