नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को बाबा रामदेव और पतंजलि की दिव्य फार्मेसी को एक याचिका के जवाब में नोटिस जारी किया है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि दिव्य दंत मंजन, जो कि शाकाहारी उत्पाद के रूप में प्रस्तुत किया गया है, में मांसाहारी तत्व शामिल हैं। अधिवक्ता यतिन शर्मा द्वारा दायर याचिका में दावा किया गया है कि दिव्य दंत मंजन की पैकेजिंग पर एक हरा बिंदु है, जो शाकाहारी उत्पादों को दर्शाने के लिए आमतौर पर उपयोग किया जाता है। हालांकि, सामग्री सूची में सेपिया ऑफिसिनेलिस (सामान्य समुद्रफेन) शामिल है। मामले की अगली सुनवाई 28 नवंबर को होगी।
याचिका में बताया गया है कि दिव्य दंत मंजन को पतंजलि की वेबसाइट पर प्रमुखता से दिखाया गया है और इसे शाकाहारी के रूप में चिह्नित किया गया है। याचिकाकर्ता और उनके परिवार, जो शाकाहारी और पौधों पर आधारित आयुर्वेदिक उत्पादों का उपयोग करते हैं, ने हाल ही में पाया कि उत्पाद में "समुद्रफेन" है, जो कटलफिश की हड्डी से प्राप्त होता है। यह जानकारी याचिकाकर्ता और उनके परिवार के लिए खास तौर पर परेशान करने वाली रही है, क्योंकि वे ब्राह्मण पृष्ठभूमि से आते हैं और मांसाहारी सामग्री का सेवन उनके धार्मिक मान्यताओं के खिलाफ है।
याचिका में यह भी कहा गया है कि जब याचिकाकर्ता को पता चला कि वे अनजाने में मांसाहारी उत्पाद का सेवन कर रहे थे, तो इससे उन्हें गहरा आघात पहुंचा। याचिका में दिव्य दंत मंजन के उत्पादन और प्रचार के संबंध में न्यायिक हस्तक्षेप की मांग की गई है, ताकि मांसाहारी सामग्री के आरोपों की जांच की जा सके। इसके अतिरिक्त, याचिका में कहा गया है कि बाबा रामदेव ने एक यूट्यूब वीडियो में स्वीकार किया है कि उत्पाद में उपयोग होने वाला "समुद्रफेन" पशु-आधारित है, जबकि इसे शाकाहारी के रूप में बेचा जा रहा है। याचिकाकर्ता ने पारदर्शिता और धार्मिक मान्यताओं के पालन की मांग की है और अदालत से तत्काल न्यायिक हस्तक्षेप की अपील की है, ताकि कानूनी प्रणाली की अखंडता को सुनिश्चित किया जा सके।
क्या है समुद्रफेन ?
यह पशु उत्पाद कटलफिश की हड्डियों से प्राप्त होता है। कटलफिश की मृत्यु के बाद उसकी हड्डियां बड़ी संख्या में समुद्र की सतह पर तैरती हैं और यह समुद्र के सतही पानी पर मोटे झाग की तरह दिखती हैं, इसीलिए इसका नाम समुद्रफेन पड़ा। आयुर्वेद में इसका काफी उपयोग किया जाता है। इसे इकठ्ठा करके मछुआरे इसे सुखाते हैं और फिर इसका चूर्ण बनाकर इसका दवाइयों में उपयोग किया जाता है। यह नेत्र रोग, पेट से जुड़ी समस्या जैसे ट्यूमर, तिल्ली बढ़ना, पित्त दोष, कान से जुड़ी समस्याएं समेत अन्य बीमारियों में भी काम में लिया जाता है।
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