भोपाल: पत्थलगड़ी से आदिवासी और उनकी गतिविधि को लेकर रजनोइटी शुरू की जा चुकी है और मामला सुर्खियों में है . आदिवासियों के लिए आरक्षित 47 विधानसभा पर पत्थलगड़ी समर्थकों की नज़रे है और इसके लिए गतिविधियां सुचारु रूप से जारी है. खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री ओमप्रकाश धुर्वे ने पत्थलगड़ी का विरोध करने की हिम्मत दिखाई तो उन्हें समाज से बाहर कर दाना पानी बंद कर दिया गया. यहां तक की धुर्वे को माफी तक मांगनी पड़ी फिर उन्हें सामाजिक गातिविधियों में शामिल होने की परमिशन दी गई. हालांकि मप्र पुलिस ने इन मामलों में झारखंड के आदिवासी नेता 'कृष्णहंषा' के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मामला भी दर्ज कर लिया है. मगर पत्थलगड़ी समर्थक नक्सली तर्ज पर अपना लिए जमीं मजबूत करने में जुटे है.
'पांचवीं अनुसूची क्षेत्र में गैर आदिवासियों का प्रवेश वर्जित' वाले पत्थर और आदिवासियों ने स्वशासन की घोषणा फिर मध्य प्रदेश के दूसरे आदिवासी बाहुल्य मालवांचल में भी 'जयेस' नामक संगठन की सक्रियता इस बात की ओर इशारा है कि कभी ये संगठन एक बड़ी मुसीबत का रूप ले सकता है.
मामले पर बात करते हुए डिंडौरी जिले के एसपी कार्तिकेयन के. ने बताया कि पत्थलगड़ी से प्रभावित अब मात्र 16 गांव बचे हैं, जहां नियमित रूप से जनसंवाद कर समझाइश दी जा रही है. उन्होंने बताया कि झारखंड के आदिवासी नेता कृष्णहंषा के खिलाफ पुलिस ने एफआइआर दर्ज की है. यही व्यक्ति झारखंड से आकर यहां आदिवासियों को भड़का रहा था. स्कूलों कॉलेजों और आम जनता के बीच अपना वर्चस्व बढ़ाने की हर कवायद जारी है.
पत्थलगड़ी आंदोलन को मिला अजित जोगी का समर्थन
Video: क्या है 'पत्थलगड़ी' के हरे पत्थरों का राज
Editor Desk: 'पत्थलगड़ी' आंदोलन के पीछे क्या है असल कहानी