नई दिल्ली: 2013 में पटना के गांधी मैदान सीरियल ब्लास्ट केस में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) अदालत ने 4 दोषियों को फांसी की सज़ा दी गई है, 2 को आजीवन कारावास और दो को 10-10 वर्ष जेल की सज़ा सुनाई गई है. इस मामले में रांची का सीठियो गांव सुर्खियों में रहा था. ब्लास्ट के दोषी इसी गांव के निवासी हैं. इस बात से गांव वाले खफा थे और उनका कहना था कि ये गांव बदनाम हो गया है.
गांव पर लगे इस धब्बे को धोने के लिए अब सभी दोषियों के परिवार वालों ने ऊपरी अदालत का दरवाजा खटखटाने का फैसला लिया है. कुछ दोषियों के परिजनों का कहना है कि इसके लिए सर्वोच्च न्यायलय भी जाना पड़े, तो वो उससे गुरेज नही करेंगे, मगर फांसी की सज़ा पाने वाले नोमान अंसारी और इम्तियाज आलम को बेकसूर साबित करवाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. सीठियो के निवासी इम्तियाज आलम और नोमान अंसारी के घर पर उस वक़्त मातम पसर गया, जब उन्हें यह खबर मिली कि दोनों को फांसी की सजा दी गई है. परिजन रोते हुए यही कह रहे थे कि इम्तियाज और नुमान बेकसूर हैं. नुमान की मां का तो रो-रोकर बुरा हाल है.
इम्तियाज आलम और नुमान अंसारी के परिजन NIA कोर्ट के फैसले से संतुष्ट नहीं हैं. अब इम्तियाज और नुमान के परिजन NIA कोर्ट के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती देने की बात कह रहे हैं. नुमान अंसारी के पिता सुल्तान अंसारी का कहना है कि उनका बेटा बेकसूर है. वह हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे और हर हाल में उसे रिहा कराकर ही दम लेंगे. NIA ने जो दाग उनके माथे पर लगाया है, उसे हर हाल में धोकर ही रहेंगे. बता दें, धमाकों में छह लोगों की मौत हुई थी और 89 लोग घायल हुए थे. वहीँ NIA ने इस मामले में 187 लोगों की गवाही दर्ज करवाई थी. अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि, क्या NIA के वो गवाह, चार्जशीट सब झूठे थे, जो अब दोषियों के परिजन अपने बच्चों को निर्दोष कह रहे हैं .
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