हर साल दिवाली का पर्व मनाया जाता है और इस साल यह पर्व 24 अक्टूबर को मनाया जाने वाला है। तो आज हम आपको बताते हैं दिवाली की पौराणिक कथा, जो आपको जरूर पढ़नी या सुननी चाहिए।
दिवाली की पौराणिक कथा- एक बार एक राजा ने एक लकडहारे से खुश होकर उसे चन्दन की लकड़ी का जंगल भेंट किया, लेकिन लकडहारा तो लकडहारा ही था उसने चन्दन के जंगल में से चन्दन की लकड़ियाँ काटी और उसे घर ले जाकर जलाकर, भोजन बनाने के लिए प्रयोग करता था। जब राजा को यह बात अपने गुप्तचरों से पता चली, तो उन्हें समझ आया की पैसा सिर्फ मेहनत से नहीं बुद्धि से भी हासिल किया जाता है। इस वजह से दिवाली के दिन माँ लक्ष्मी के साथ भगवान गणेश जी की भी पूजा की जाती है, ताकि व्यक्ति को धन के साथ-साथ उसे प्रयोग करने की योग्यता भी मिले।
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अन्य कथा- एक बार देवताओं के राजा इंद्र से डरकर राक्षस राजा वाली कहीं जाकर छुप गए। राजा इंद्र उन्हें खोजते-खोजते एक खाली घर में पहुंचे, वहां राजा बलि गधे के रूप में छुपे हुए थे। दोनों की आपस में बातचीत होने लगी। बातचीत चल रही थी की इतने में राजा बलि के शरीर से एक स्त्री बाहर निकली। जब देवताओं के राजा इंद्र ने उनसे पूछा तो स्त्री ने कहा “मैं देवी लक्ष्मी हूँ, स्वभाववश एक स्थान पर टिककर नहीं रह सकती”. लेकिन में उस स्थान पर स्थिर होकर रहती हूँ जहां सत्य, दान, व्रत, धर्म, पुण्य, पराक्रम, तप आदि रहते है। जो व्यक्ति सत्यवादी होता है ब्राह्मणों का हितेषी होता है, धर्म की मर्यादा का पालन करता है उसी के यहां में निवास करती हूँ। इस तरह यह बात स्पष्ट है की माँ लक्ष्मी केवल वहीँ स्थायी रूप से निवास करती है जहां अच्छे गुणी व्यक्ति निवास करते है।
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