नई दिल्ली: बांग्लादेश, जो पहले से ही गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है, अब एक और बड़ी समस्या का सामना कर सकता है। अडानी पावर का बकाया भुगतान बढ़ने से बांग्लादेश की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। बांग्लादेश की बिजली आवश्यकताओं का एक बड़ा हिस्सा अडानी पावर झारखंड लिमिटेड (APJL) से आता है, जो गोड्डा, झारखंड स्थित प्लांट से बिजली आपूर्ति करता है। यह कंपनी बांग्लादेश को उसकी कुल जरूरत का लगभग 30% बिजली उपलब्ध कराती है।
अडानी पावर का बांग्लादेश पावर डेवलपमेंट बोर्ड (BPDB) पर लगभग 85 करोड़ डॉलर (लगभग 7,200 करोड़ रुपये) का बकाया है। अडानी ग्रुप ने बकाया राशि के भुगतान के लिए बांग्लादेश को 7 नवंबर तक की समय सीमा दी है। यदि यह राशि निर्धारित समय तक नहीं चुकाई गई, तो अडानी पावर बांग्लादेश को बिजली की आपूर्ति रोक सकता है, जिससे देश में एक बड़ा बिजली संकट पैदा हो सकता है। 2017 में हुई एक समझौते के तहत अडानी पावर ने 10 अप्रैल 2023 से बांग्लादेश को बिजली देना शुरू किया था। इस समझौते में अगले 25 वर्षों तक बिजली आपूर्ति का प्रावधान है। गोड्डा प्लांट से हर दिन 1,496 मेगावॉट बिजली बांग्लादेश भेजी जाती है, जिसकी कीमत 10 से 12 टका प्रति यूनिट तय है।
बांग्लादेश में अडानी पावर के अलावा तीन अन्य प्रमुख बिजली प्लांट भी हैं। इनमें पटुआखाली जिले का पायरा प्लांट (चीन की मदद से बना) 1,244 मेगावॉट बिजली पैदा करता है। खुलना डिविजन में स्थित रामपाल प्लांट भारत और बांग्लादेश के संयुक्त उद्यम का हिस्सा है, जो 1,234 मेगावॉट बिजली बनाता है। वहीं, चिटगांव में स्थित बांसखाली प्लांट एस आलम ग्रुप के स्वामित्व में है और 1,224 मेगावॉट बिजली उत्पादन करता है। बांग्लादेश में बढ़ता बकाया इसलिए है क्योंकि BPDB अडानी पावर को कम भुगतान कर रहा है। पहले, शेख हसीना की सरकार के दौरान अडानी पावर को हर महीने 6 से 6.5 करोड़ डॉलर का भुगतान किया जा रहा था। लेकिन मौजूदा मोहम्मद यूनुस सरकार ने इसे घटा दिया। हाल के महीनों में बांग्लादेश ने केवल 3.1 करोड़ डॉलर (जुलाई-अगस्त), 8.7 करोड़ डॉलर (सितंबर), और 9.7 करोड़ डॉलर (अक्टूबर) का भुगतान किया है।
अडानी पावर ने अक्टूबर के अंत में भुगतान करने का दबाव बढ़ाया, जिसके बाद बांग्लादेश ने 17 करोड़ डॉलर का लेटर ऑफ क्रेडिट देने का प्रस्ताव रखा। हालांकि, अडानी पावर ने यह प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया क्योंकि यह कृषि बैंक से था, जो कमर्शियल बैंक से मिलने वाले गारंटी के मुकाबले कमजोर था। बांग्लादेश की भुगतान समस्या उसकी गिरती अर्थव्यवस्था और विदेशी मुद्रा भंडार की कमी से जुड़ी है। जून में विदेशी मुद्रा भंडार 25,823 मिलियन डॉलर था, जो सितंबर में घटकर 24,863 मिलियन डॉलर रह गया। विशेषज्ञों का मानना है कि बांग्लादेश की आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर है कि वह बड़ी राशि का भुगतान करने में असमर्थ है।
साथ ही, यूनुस सरकार ने अडानी पावर के साथ हुई डील की समीक्षा का भी निर्णय लिया था, यह कहते हुए कि बिजली की कीमत बहुत अधिक है। यदि अडानी पावर ने बिजली आपूर्ति रोकी, तो बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। रामपाल और बांसखाली प्लांट कोयले की कमी के कारण पहले ही कम उत्पादन कर रहे हैं, और बिजली संकट से गारमेंट इंडस्ट्री पर भारी असर पड़ सकता है। गारमेंट सेक्टर का बांग्लादेश की जीडीपी में 12% से अधिक योगदान है, और इससे विदेशी मुद्रा भंडार और घट सकता है। हालांकि, यह स्थिति अडानी पावर के लिए भी कठिन होगी, क्योंकि गोड्डा प्लांट से उत्पादित बिजली केवल बांग्लादेश को ही दी जाती है।
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