Pegasus केस: जब कांग्रेस सरकार ने की थी प्रणब मुखर्जी-अमर सिंह और अन्य नेताओं की जासूसी

Pegasus केस: जब कांग्रेस सरकार ने की थी प्रणब मुखर्जी-अमर सिंह और अन्य नेताओं की जासूसी
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नई दिल्ली: न्यूज़ पोर्टल द वायर ने रविवार (जुलाई 18, 2021) को 40 भारतीय पत्रकारों की एक लिस्ट साझा की थी, जिसमें दावा किया गया था कि पेगासस (Pegasus) नामक इजरायली स्पाइवेयर की सहायता से इन लोगों की जासूसी की जा रही थी। भारत सरकार ने अपनी प्रतिक्रिया में रिपोर्ट को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि रिपोर्ट में लगाए गए तमाम इल्जाम अनुमानों और अपुष्ट सिद्धांतों पर आधारित हैं। इससे पहले आज, पेगासस स्पाइवेयर के मालिक NSO ग्रुप ने कहा है कि वह उन पर अपमानजनक आरोप लगाने के लिए द वायर पर मानहानि का केस दायर करने पर विचार कर रहे हैं।

बता दें कि यह पोर्टल हमेशा से ही मोदी सरकार के खिलाफ पूर्वाग्रही सामग्री प्रकाशित करने के लिए मशहूर है। जासूसी के आरोपों के बीच वह एक बार फिर से चर्चाओं में है। हालांकि,  जब केंद्र में कांग्रेस की सरकार हुआ करती थी, तो वह कई राजनेताओं पर निगरानी रखा करती थी, जिसमें उनके अपने नेताओं के भी नाम होते थे। 2013 में दाखिल की गई एक RTI के जवाब से खुलासा हुआ है कि केंद्र की UPA सरकार 9,000 फोन और 500 ईमेल अकाउंट्स की बारीकी से मॉनिटरिंग कर रही थी। यह RTI प्रोसेनजीत मंडल नामक ने दाखिल की थी। जिसके जवाब में कहा गया है कि, 'केंद्र सरकार द्वारा हर महीने औसतन 7,500 से 9,000 के बीच टेलीफोन इंटरसेप्शन और ईमेल इंटरसेप्शन के लिए 300 से 500 ऑर्डर जारी किए गए।'

UPA सरकार में प्रति माह 10 या 20 नहीं बल्कि 9000 फोन टैप किए जाते थे। इसमें न सिर्फ प्रतिष्ठित व्यक्ति बल्कि उनके अपने नेता भी शामिल थे, जिनमें कांग्रेस के दिग्गज नेता प्रणब मुखर्जी भी शामिल थे। जनवरी 2006 में, समाजवादी पार्टी (सपा) के तत्कालीन महासचिव, तेजतर्रार राजनेता अमर सिंह ने आरोप लगाते हुए कहा था कि 2004 में सत्ता में आई मनमोहन सिंह सरकार ने उनका फोन टैप किया था। अमर सिंह द्वारा आरोप लगाने के बाद, अन्य राजनेताओं जैसे सीताराम येचुरी, जयललिता, सीबी नायडू आदि ने भी UPA सरकार पर ऐसे ही आरोप लगाए। हालाँकि, इस पूरे मामले की सबसे दिलचस्प बात पूर्व पीएम मनमोहन सिंह की तरफ से दी गई प्रतिक्रिया है। उन्होंने कहा था कि फोन टैपिंग उनकी सरकार ने नहीं बल्कि एक प्राइवेट एजेंसी ने की थी। हालांकि, बाद में इस मामले में भूपिंदर सिंह नाम के एक शख्स को अरेस्ट भी किया गया था।

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