भोपाल: मध्य प्रदेश से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। भोपाल पुलिस ने बीज प्रमाणीकरण विभाग में चार महीने पहले हुए 10 करोड़ रुपये के गबन मामले का खुलासा किया है। पुलिस ने विभाग के एक चपरासी सहित 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिन्होंने बैंक मैनेजर के साथ मिलकर इस गबन को अंजाम दिया। अपराधियों ने इस गबन से हासिल रकम से करोड़ों की जमीन खरीदने का भी प्रयास किया था, जिससे सरकारी योजना का लाभ उठाकर सब्सिडी हड़प सकें। हालांकि, पुलिस ने आरोपियों को पकड़ लिया। पुलिस कमिश्नर हरिनारायणचारी मिश्रा ने मामले की जांच करने वाली पुलिस टीम को 30,000 रुपये का नकद पुरस्कार देने का ऐलान किया है।
दरअसल, यह मामला 14 सितंबर 2024 का है, जब बीज प्रमाणीकरण अफसर सुखदेव प्रसाद अहिरवार ने कोतवाली थाने में शिकायती आवेदन दिया था। उन्होंने आरोप लगाया कि इमामी गेट स्थित सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में विभाग की 10 करोड़ रुपये की एफडी तोड़कर रकम चपरासी बीडी नामदेव के बैंक खाते में स्थानन्तरित कर दी गई। इस मामले में बैंक के शाखा प्रबंधक नोएल सिंह की भी मिलीभगत थी। आवेदन के आधार पर पुलिस ने एसआईटी गठित कर तहकीकात आरम्भ की। आरोपी चपरासी मोबाइल बंद कर फरार हो गया एवं बैंक मैनेजर का भी तबादला हो गया। एसआईटी द्वारा जांच बढ़ाए जाने पर और भी चौंकाने वाले खुलासे हुए। इस गबन में 8 अन्य आरोपी भी सम्मिलित थे।
पुलिस ने बताया कि बीज प्रमाणीकरण विभाग के चपरासी बिजेंद्र दास नामदेव (बीडी नामदेव) ने अपने विभाग के लेखा सहायक दीपक पंथी के साथ मिलकर विभाग से जुड़े फर्जी दस्तावेज और सील तैयार किए। फिर बैंक मैनेजर नोएल सिंह के साथ मिलकर विभाग की 10 करोड़ रुपये की एफडी तोड़वाई और रकम बीडी नामदेव के खाते में स्थानन्तरित कर दी। हैरानी की बात यह है कि आरोपियों ने विभाग की फर्जी सील एवं विभागाध्यक्ष के फर्जी हस्ताक्षर से दस्तावेज तैयार किए, जिसमें बीडी नामदेव को आहरण एवं संवितरण अफसर दर्शाया गया। तत्पश्चात, 10 करोड़ रुपये की एफडी के बदले 5-5 करोड़ रुपये के दो डिमांड ड्राफ्ट तैयार कर लिए गए।
तत्पश्चात, चपरासी बीडी नामदेव ने एमपी नगर स्थित एक निजी बैंक में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर खाता खुलवाया। इस अकाउंट में डिमांड ड्राफ्ट की रकम ट्रांसफर की गई तथा इसके बाद इसे 50 विभिन्न खातों में भेजा गया। इनमें शैलेंद्र प्रधान नामक आरोपी ने अपने साथियों के साथ मिलकर पहले फर्जी फर्म बनाई तथा इन खातों में रकम भेजी। आरोपियों ने इन खातों से रकम निकालकर कमीशन के रूप में पैसे दिए।
गबन के पैसे से आरोपियों ने 6 करोड़ 40 लाख एवं 1 करोड़ 25 लाख रुपये की दो संपत्तियां खरीदीं। उनका योजना थी कि इन संपत्तियों पर पशुपालन परियोजना आरम्भ करें, क्योंकि सरकारी योजना के तहत एक परियोजना पर 5 करोड़ रुपये तक का लोन प्राप्त होता है, जिसमें 50% सब्सिडी भी है। आरोपियों का मकसद था कि वे बीज प्रमाणीकरण विभाग से गबन की गई रकम को पशुपालन इकाई में निवेश करके योजना से सब्सिडी हड़प सकें।
मामले में मुकदमा दर्ज होने के पश्चात् पुलिस ने आरोपियों बीडी नामदेव और नोएल सिंह को तलाशा, किन्तु दोनों फरार हो गए थे। तहकीकात के चलते बीज प्रमाणीकरण विभाग, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया एवं एमपी नगर के यस बैंक से जुड़े दस्तावेजों की जांच की गई, जिसमें दीपक पंथी की संलिप्तता सामने आई। उसे गिरफ्तार कर लिया गया। उसकी पूछताछ के पश्चात् धनंजय गिरी (यस बैंक के सीनियर सेल्स मैनेजर) और शैलेंद्र प्रधान की भी मिलीभगत सामने आई, फिर इन दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया। इस मामले में 10 करोड़ रुपये की रकम विभिन्न खातों में स्थानन्तरित की गई थी, इसलिए इन खातों को होल्ड कर दिया गया था। इस के चलते आरोपियों के अन्य साथी, राजेश शर्मा और पीयूष शर्मा की भी संलिप्तता सामने आई।