चंडीगढ़: आज के समय में हरियाणा में अवैध शराब का कारोबार का होना कोई नई बात नहीं है। बॉटलिंग प्लांट में अवैध तरह से बनाई जाने वाली जहरीली शराब प्रदेश में 40 वर्ष से लगातार लोगों की मौत का कारण बनती जा रही है। जंहा सस्ती शराब के चक्कर में लोग मौत को गले लगा लेते हैं। भट्ठियों में बनी इस शराब की कोई डिग्री नहीं मिलती, और बिना किसी भी एक्सपाइरी डेट का अनुमान नहीं होता है जिसके कारण यह शराब लोगों के लिए और भी घातक होती जा रही है।
मिली जानकारी के अनुसार हरियाणा में जहरीली शराब से पहली बार 1980 में 40 लोगों की जान जींद जिले के नरवाना में गई थी। उस वक़्त शुरू हुआ मौतों का सिलसिला आज तक नहीं रुक पाया है। बड़ी घटना होने पर ही सरकार व सरकारी मंत्रालयों की नींद लगातार टूटती जा रही है। सोनीपत और पानीपत में जहरीली शराब से हुई मौतों के मामले में भी ऐसा ही हुआ।
जंहा इस बात का पता चला है कि सोनीपत के नैना गांव के बॉटलिंग प्लांट में अवैध शराब बन रही थी और पुलिस को कानोंकान इस बात की कोई भी खबर न थी। लोगों की जान जाने के उपरांत इसकी भनक लगी या यूं बोला जाए कि पुलिस की आंखें खुली। जंहा यह भी कहा जा रहा है कि हरियाणा के औद्योगिक क्षेत्रों के आसपास अवैध शराब का कारोबार खूब फलफूल रहा है। यहां घनी आबादी के बीच मध्य अवैध शराब बनाकर श्रमिकों व गरीब तबके को सस्ते दामों पर बेच देते है। शराब जहरीली है या नहीं, ये जाने बिना लोग पी जाते हैं और परिणाम मौत निकलता है।
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