देशभर में दिसंबर माह के आते ही पतंगबाजी को पसंद करने वालों को तो जैसे कोई काम ही मिल जाता है। बड़े पैमाने पर युवा उत्साहित होकर पतंगबाजी की तैयारी में जुट जाते हैं। ऐसे में ये युवा अपनी ही मौज में मस्त रहते हैं।
पतंगबाजी के इन शौकीनों द्वारा अपना मजमा जमाया जा रहा है। हालांकि अब मांझा सूतने का और हुचका आदि तैयार करने का चलन कम हो गया है लेकिन अभी भी संक्रांति को लेकर दिसंबर माह के आधा बीतने के बाद लोग तैयारी करने लगते हैं।
ऐसे ही कुछ नज़ारे भारत की गलियों में आम हो रहे हैं। और हां, स्कूल और काॅलेज बंक कर डोर सूतने का मज़ा तो अलग ही है। इसकी याद ताउम्र बनी रहती है। फिर संक्रांति और इसके कुछ पहले डोर से पेच काटकर खुद को तीसमारखा समझना किसे अच्छा नहीं लगता है।
दिनभर दोस्तों के साथ डोर सूतने के ऐसे ही आनंद युवा ले रहे हैं। तो दूसरी ओर इस बार आकर्षक पतंगे लोगों का उत्साह बढ़ा रही हैं माना जा रहा है कि इस बार लोगों को स्वच्छ भारत अभियान के कुछ संदेश पतंगों पर दिखाई देंगे तो कुछ पतंगें नोटों की इमेज से सजी होंगी। जी हां, पतंगबाजी पर भी नोटबंदी की खुमारी चढ़ती देखी जा सकती है।