नई दिल्ली: भारत में कोरोना वायरस के मामलों के गिरावट आने के बीच बड़ी तादाद में लोगों के बाजारों का रुख करने, सार्वजनिक और पर्यटन स्थलों की तरफ जाने और कोरोना से बचाव के नियमों का पालन नहीं करने पर विशेषज्ञों ने चिंता प्रकट की है. उन्होंने कहा कि संक्रमण को नियंत्रित करने में समाज की भूमिका को अनदेखा नहीं किया जा सकता है और लोग खतरे को नहीं देख पा रहे हैं.
विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि जनता के रवैये में परिवर्तन के लिए सरकार में उनका विश्वास अहम होता है, किन्तु दुर्भाग्य से देश में लोगों का राजनीति पार्टियों में भरोसा कम है. उनका यह भी कहना है कि संक्रमण की गंभीरता और टीकाकरण दर के संबंध में अस्पष्ट जानकारी देने से भी भम्र की स्थिति उत्पन्न हुई है. उल्लेखनीय है कि सोशल मीडिया और अन्य संचार माध्यमों पर पहाड़ों वाले पर्यटन स्थलों पर प्रवेश के लिए कारों की लंबी लाइनों और लोगों की भीड़ की तस्वीरें सामने आई हैं, जिससे कई हलकों में चिंता बढ़ी है.
अपनी जिंदगी को पुनः पटरी पर लाने के चक्कर में लोगों ने बचाव के बुनियादी उपाय करना भी छोड़ दिया है. वरिष्ठ महामारी विशेषज्ञ ललित कांत ने कहा है कि नियमों का पालन नहीं करना, लोगों की उदासीनता और जो होगा भगवान की मर्जी से होगा का मिश्रण है. मानव व्यवहार और संबद्ध विज्ञान संस्थान के डायरेक्टर नीमेश देसाई का कहना है कि मास्क न लगाना और सोशल डिस्टन्सिंग का पालन नहीं करने जैसी लापरवाही की वजह यह है कि लोग खतरे को नहीं देख पा रहे हैं.
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