भोपाल। राजधानी भोपाल से 25 किमी दूर रातीबड़ रोड पर एक अनोखा गांव है। यहा आदिवासी परिवार में जिस भी इंसान की अकाल मौत हो जाती है तो अनोखा गांव के लोग इन अकाल मौत मरे लोगो की समाधी बना कर देवता की तरह पूजने लगते है और पूजा भी ऐसी-वैसी नहीं, सिगरेट-शराब के साथ बकरे की बलि देकर भोज तक कराना पड़ता है।
अनोखा गांव के लोगो ने बताया की गांव 1200 की आबादी वाला गांव है, हर परिवार का बच्चा पढ़ा-लिखा है। गांव में मिडिल स्कूल है, इससे आगे 12वीं की पढ़ाई पांच किमी दूर रातीबड़ में होती है। गांव के कई लड़के और लड़कियां शहर में बीए-बीएससी की पढ़ाई कर रहे हैं। इस गांव के लोगो उनकी परंपरा आज भी जान से अधिक प्रिय है।
अब कहानी अकाल मौत से देवता बनने की, गांव में 18-20 घरो के पास एक-दो पत्थरो की मूर्ति लगी है। कुछ घरो के लोगो ने तो अपने घरो के मंदिर में मूर्तियों को स्थापित किया है। अब मूर्तियों को महिला पुरुष के कपडे पहनाते है। मूर्तियों के समक्ष जल का मटका भी भरकर रखा जाता है। मूर्तियों के पास बीड़ी, सिगरेट व शराब का भी भोग लगाया जाता है। इस गांव में त्यौहार पर सब से पहले मूर्तियों की पूजा की जाती है। गांव में एक चेतावनी बोर्ड लगा रखा है की जो हमारी परंपरा के बारे में बोलेगा या ख़त्म करने की कोशिश करेगा उसका गांव में आना माना है। ऐसे अंध विश्वाश को कभी ख़त्म नहीं किया जा सकता।
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