पीथमपुर से अपने गांव लौट रहे लोग ! यूका के जहरीले कचरे पर अगली सुनवाई 6 हफ्ते बाद

पीथमपुर से अपने गांव लौट रहे लोग ! यूका के जहरीले कचरे पर अगली सुनवाई 6 हफ्ते बाद
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इंदौर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड कचरा जलने के फैसले से वहां की जनता बहुत ही आक्रोश में है। जिस दिन से भोपाल से पीथमपुर कचरा आया है, उसी दिन से पीथमपुर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे। हालाकिं, अपने विरोध का कोई नतीजा न मिलते देख वहां के रहवासियों ने पलायन करने की सोच ली है। पीथमपुर का तारापुर गांव रामकी कंपनी से 200 मीटर की दूरी पर स्थित है। इसी कंपनी में यूनियन कार्बाइड के कचरे को लाया गया था। गांव की जनता यह खबर सुनते ही दहशत में आ गई थी। अब उन्होंने जगह छोड़ने की सोच ली है।

गांव में करीबन 300 परिवार के 1500 लोग रहते है। लेकिन अब कई घरों में ताले लग चुके है। पीथमपुर में काम की तलाश में आए प्रवासी, अब पीथमपुर छोड़ नए बसेरे की तलाश में दूसरी जगह जाने में लगे है। खबर है कि, पिछले 2 दिनों में करीबन 250 तत्काल टिकट बुक हो चुकी है, जिनमें अधिकतर लोग किरायदार है। पलायन कर रहे लोगों में ज्यादातर लोग रीवा, सागर, इटारसी, होशंगाबाद और उत्तरप्रदेश के है।

हालाकिं, इसको लेकर अभी तक कोई भी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। वहीं, सोशल मीडिया में इस बात को ज्यादा हवा मिल रही है। जिस वजह से लोग और आक्रोशित हो रहे हैं। इसे देखते हुए धार के जिला अधिकारी ने बीएनएस धारा 166 लागू कर दी है। ताकि एक जगह इकट्ठा हो कर कोई प्रदर्शन न कर सके। साथ ही सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर भी प्रतिबंधात्मक आदेश जारी हो गए है, ताकि कोई भी इसका गलत उपयोग कर लोगों को गलत तरीके से प्रभावित न कर सके।

जनता क्यों है इस आदेश के विरोध में ?

पीथमपुर की जनता का कहना है कि, 2015 में सिर्फ 10 टन कचरा जलाने के बाद से ही यहां पर लोगों को बहुत सी परेशानी उठानी पड़ रही है। उनके मुताबिक, 2015 के बाद से वहां का पानी दूषित हो गया है। पानी पीने लायक नहीं बचा है। उस पानी से लोगों को त्वचा सम्बंधित रोग होने लगे है। उनकी कमाई का एक बड़ा हिस्सा सिर्फ इलाज में ही चला जाता है। उन्हें डर है कि जब 10 टन कचरे से ही उन्हें इतनी मुसीबत झेलनी पड़ रही है, तो 377 टन कचरा जलने के बाद तो उनके जीवन पर बात आ जाएगी।

लोगों द्वारा सरकार से कई सवाल किए जा रहे है

लोगों के साथ ही डॉक्टर्स ने भी सरकार से सवाल किया है कि, वह इससे सम्बंधित रिपोर्ट सबके सामने प्रस्तुत क्यों नहीं कर रहे है ? जब उनका दावा है कि कचरे में कोई भी हानिकारक रासायनिक तत्व है ही नहीं, तो फिर उसे भोपाल से पीथमपुर लाया ही क्यों गया है? साथ ही उन्होंने सवाल किया है कि, अभी तक कचरे के डिस्पोजल की प्रक्रिया का एसओपी जारी क्यों नहीं हुआ है? इसके अलावा उनका जो अहम सवाल है, वह यह कि आखिर कचरे में है क्या ? सरकार ने अभी तक इन सवालों का जवाब नहीं दिया है। जिसके बाद जनता को उन पर संदेह हो रहा है।

भाजपा नेता की गंभीर हालत के बाद मुख्यमंत्री ने पीछे किए​ कदम

यूनियन कार्बाइड के कचरे को जलाने की खबर सुनते ही पीथमपुर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था। इसमें जनता और कोंग्रेस नेताओं के साथ-साथ भाजपाई नेता भी साथ दे रहे थे। हालाकिं, राज्य सरकार उस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रही थी। लेकिन, पिछले सप्ताह विरोध के दौरान भाजपा के 2 नेताओं ने खुद को आग लगाकर आत्मदाह करने की कोशिश की थी, जिसमें दोनों की हालत गंभीर हो गई थी। जिसके बाद मोहन यादव ने अपने कदम पीछे कर लिए थे और उन्होंने मामले को कोर्ट में भिजवा दिया था।

पीथमपुर में जलाने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर आज हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई में सरकार ने कोर्ट से 6 सप्ताह का समय मांगा है। सरकार ने कहा की मिस लीडिंग से यह स्थिति बनी है। कोर्ट ने 12 कंटेनरों में भरे हुए यूनियन कार्बाइड के कचरे को फैक्ट्री में खाली करने की इजाजत दे दी है। अब इस मामले में अगली सुनवाई 18 फरवरी को होगी।

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