भारत की तरह हर देश में ट्रैफिक के नियम अगल-अलग हैं और लोग उसका पालन भी करते हैं. लेकिन मेक्सिको एक ऐसा देश है, जहां ड्राइविंग लाइसेंस लेने के लिए टेस्ट की जरूरत नहीं होती है. ना ही यहां के लोग ट्रैफिक नियमों का पालन करते हैं. हालत यह है कि दोपहिया वाहनों को तो यहां मुसीबत समझा जाता है. एक रिपोर्ट से पता चलता है कि मेक्सिको में एक ड्राइवर औसतन 59 मिनट का समय ट्रैफिक जाम में गंवा देता है.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे अधितकर देशों में ड्राइविंग लाइसेंस लेने के लिए टेस्ट देना होता है और टेस्ट पास होने के बाद ही ड्राइविंग लाइसेंस मिल पाता है.जबकि मेक्सिको एक ऐसा देश है जहां टेस्ट की जरूरत नहीं पड़ती है. यहां सिर्फ एड्रेस प्रूफ से ही ड्राइविंग लाइसेंस बन जाता है. यहां चालीस मैक्सिकन डॉलर यानी 147 भारतीय रुपये में लाइसेंस बन जाता है. भारत जैसे देशों में ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन आपको भारी-भरकम जुर्माने के साथ जेल की सलाखों के पीछे भी पहुंचा सकता है। जबकि मेक्सिको में ऐसा नहीं है. मेक्सिको में लोग सरेआम ट्रैफिक नियमों को तोड़ते हैं. ट्रैफिक पुलिस की सीटी की आवाज भी लोगों पर कुछ असर नहीं डाल पाती हैं. यही वजह है कि यहां के लोग घंटों ट्रैफिक में फंसे रहते हैं. ट्रैफिक पुलिस वालों को भी यहां कुछ नहीं समझते हैं. ट्रैफिक पुलिस सीटी बजाती रह जाती है, और लोग रेड लाइट जंप कर जाते हैं.
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अगर आपको नही पता तो बता दे कि मेक्सिको में सड़क हादसे में मरने वालों की संख्या कम नहीं है. यहां हर रोज औसतन 12 लोगों की जान चली जाती है, जबकि 89,191 लोग जख्मी होते हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल 3,65,167 लोगों ने सड़क हादसे में अपनी जान गंवा दी. वहीं, मेक्सिको में पैदल चलने वालों को बोझ और मुसिबत समझा जाता है. मेक्सिको में लोग रेडलाइट की भी परवाह नहीं करते, गाड़ियां बेतर खतरनाक तरीके से चलती हैं. लगता है यहां के लोग एक-दूसरे के खून के प्यासे हैं। यहां पैदल चलने वाले से ज्यादा वरियता फोर व्हीलर्स को दी जाती है। यहां लोग जीगजैग तरीके से गाड़ियां चलाते हैं. वहीं, एक रिपोर्ट की मानें तो मेक्सिको को दुनिया का सबसे जाम वाला शहर माना गया है.
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