नई दिल्ली: इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) से सियासी दलों का चुनाव चिह्न हटाने की मांग वाली याचिका को शीर्ष अदालत ने आज मंगलवार (1 नवंबर) को खारिज कर दिया. इस दौरान शीर्ष अदालत ने याचिका का निपटारा करते हुए याचिकाकर्ता को उसकी मांग चुनाव आयोग के समक्ष रखने की मंजूरी दी है. इस पर निर्वाचन आयोग के वकील ने कहा है कि यदि आयोग के पास ऐसा कोई मामला आएगा तो वो उसे देखेगा.
सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश (CJI) यूयू ललित ने पूछा कि कोई व्यक्ति जब किसी सियासी दल का उम्मीदवार बनता है, तो वह अपनी राजनितिक पार्टी को कैसे दर्शाएगा. याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने दलील दी कि यदि किसी प्रत्याशी को मतदाता देखता है, तो सिस्टम में बेहतर लोग होंगे. पार्टी बेहतर लोगों को टिकट देने के लिए विवश होगी. यह ब्राजील में किया जाता है, जिसका कोई प्रतीक नहीं है. ताकि मतदाता जाकर केवल उम्मीदवार के आधार पर वोट दें, ना कि पार्टी के नाम पर वोट दें.
वकील विकास सिंह ने आगे कहा कि यदि पार्टी के चुनाव चिह्न हटा दिए जाते हैं, तो वोटर उस व्यक्ति के बारे में भी जानने का प्रयास करेंगे, जिसे वे वोट दे रहे हैं. इस पर CJI ने कहा कि आप कह रहे हैं कि पार्टी चिह्न का इस्तेमाल संवैधानिक नहीं है. इसके जवाब में वकील ने कहा कि वोटर को सूचित विकल्प मिलना चाहिए और विश्वसनीयता के आधार पर वोट देना चाहिए, पार्टी के आधार पर नहीं. वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायण ने कहा कि हम निर्वाचन आयोग को निर्देश देने की मांग कर रहे हैं. इस पर CJI ने सवाल किया कि आप ऐसा किस आधार पर कर रहे हैं? इस पर वकील विकास सिंह ने जवाब दिया कि हम ऐसा अनुच्छेद 14 और 21 के आधार पर कर रहे हैं.
मनी लांड्रिंग के मामले में सिद्दीकी कप्पन को नहीं मिली जमानत, लखनऊ कोर्ट ने ख़ारिज की याचिका
'आदिवासियों के संघर्ष को इतिहास में नहीं मिला उचित स्थान..', मानगढ़ धाम में बोले पीएम मोदी
दिल्ली में आज से योगशालाएं बंद, सीएम केजरीवाल बोले- वो जितने भी तीर चलाएंगे, उन्हें मैं...