नई दिल्ली: देश की सबसे बड़ी अदालत, सुप्रीम कोर्ट ने धूम्रपान की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 करने और खुले में सिगरेट की बिक्री पर बैन लगाने का निर्देश देने वाली याचिका को बिना सुने ही खारिज कर दिया। यही नहीं, सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय पीठ ने इस मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि अच्छे मामले में बहस करें, प्रचार के लिए याचिका दाखिल न करें।
शुक्रवार को शीर्ष अदालत के न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की दो सदस्यीय पीठ ने दो वकीलों द्वारा दाखिल की गई याचिका को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि, 'अगर आप प्रचार चाहते हैं, तो एक अच्छे मामले पर बहस करें ... प्रचार हित में याचिका दाखिल न करें।'
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता शुभम अवस्थी और सप्त ऋषि मिश्रा द्वारा एक जनहित याचिका दाखिल की गई थी। याचिका में धूम्रपान को नियंत्रित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से दिशा-निर्देश देने की मांग की गई थी। इसके साथ ही याचिका में शैक्षणिक, स्वास्थ्य संस्थानों और पूजा स्थलों के पास खुले में सिगरेट की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के अतिरिक्त व्यावसायिक स्थानों से धूम्रपान क्षेत्रों को हटाने के निर्देश भी मांगे गए थे।
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