नई दिल्ली: वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से पैदा हुए आर्थिक संकट और बाद में राजस्व पर दबाव पड़ने से केंद्र सरकार फिर से पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क बढ़ा सकती है। सूत्रों ने संकेत दिया कि यदि सरकार को अतिरिक्त आर्थिक सुधार पैकेजों को अधिक संसाधन जुटाने की आवश्यकता महसूस हुई तो पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में 3-6 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि जल्द ही हो सकती है।
इस स्तर की वृद्धि पूरे साल के लिए सरकार को 60,000 रुपये की अतिरिक्त आमदनी दे सकती है। शेष अवधि में, तक़रीबन 30,000 करोड़ रुपये एकत्रित किए जा सकते है। सूत्रों ने बताया कि दोनों उत्पादों पर ड्यूटी स्ट्रक्चर देखने के लिए एक आंतरिक अवलोकन आरंभ किया जा रहा है और जल्द ही इसका ऐलान किया जा सकता है। सरकार चाहती है कि पेट्रोल और डीजल पर किसी भी शुल्क वृद्धि से दोनों उत्पादों के खुदरा मूल्य में इजाफा नहीं होना चाहिए, क्योंकि इसे कस्टमर्स पसंद नहीं करेंगे। इसके अलावा वृद्धि की वजह से अर्थव्यवस्था पर मुद्रास्फीति का असर देखने को मिल सकता है।
विशेषज्ञों ने कहा कि वर्तमान समय में पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क बढ़ाना सही होगा, क्योंकि पेट्रोल और डीजल की कीमतें पिछले तक़रीबन एक महीने से नहीं बदली गई हैं, हालांकि वैश्विक क्रूड आयल की कीमतें नरम हो गई हैं और तक़रीबन 40 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई हैं।
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