नई दिल्ली: देश में आतंकी व हिंसक गतिविधियों में लगातार कट्टरपंथी इस्लामी संगठन पॉपुलर फ्रंट आफ इंडिया (PFI) का नाम सामने आने के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश पर दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल भी केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों के सहयोग से पूरे देश में फैले PFI नेताओं की कुंडली खंगालना आरंभ कर दिया है। अब पता चला है कि, उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भड़के हिन्दू विरोधी दंगों में भी PFI की सबसे बड़ी भूमिका थी।
अब पूरे देश में PFI पर हो रहे एक्शन के मद्देनजर उसकी भूमिका को लेकर पूर्व पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव ने शनिवार (24 सितम्बर) को पहली बार दंगे को लेकर हैरान करने वाला बयान दिया है। उन्होंने कहा कि यदि PFI द्वारा समुदाय विशेष (मुस्लिम) के युवाओं को नहीं भड़काया जाता, तो उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगे नहीं होते। PFI दिल्ली के सदस्य कई महीनों तक दिल्ली के सभी मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में जाकर युवाओं, किशोरों व महिलाओं को उनका सबसे बड़ा हमदर्द बनकर सहानुभूति का दिखावा कर उनका ब्रेनवाश करते रहे। पूर्व कमिश्नर ने बताया कि PFI ने इन लोगों को खुलकर पैसे भी दिए। जब PFI के मकसद के अनुकूल वातावरण तैयार हो गया, तब दिल्ली में दंगे भड़का दिए गए। दिल्ली दंगे में 80 फीसद से अधिक युवा व किशोर ही शामिल थे, जिन्हें PFI ने भड़काया था।
पूर्व कमिश्नर ने बताया कि दंगे की जांच के दौरान यह बात सामने आई थी कि दिल्ली ही नहीं, पूरे देश में स्थानीय अथवा किसी बड़े मसले को लेकर जब समुदाय विशेष (मुस्लिम) के लोगों के संबंध में बात उठती है, तो PFI के सदस्य फ़ौरन सहानुभूति जताने वहां पहुंच जाते हैं। उनका इरादा वहां दंगा भड़काने का ही होता है। वहां जाकर ये लोग मुस्लिमों को जागरूक करने की आड़ लेकर दंगे का माहौल तैयार करने में लग जाते हैं। खासकर युवाओं का ब्रेनवाश कर उन्हें कट्टर व जेहादी बनाने का प्रयास किया जाता है। उन्हें बताया जाता है कि यदि वे अपने कौम व अधिकार को लेकर नहीं लड़ेंगे, तो एक दिन उनके साथ घोर अत्याचार किया जाएगा। उन्हें देश छोड़कर भागना पड़ेगा। इस प्रकार की जहरीली बातें बोलकर युवाओं के दिमाग में जहर भरा जाता है और उन्हें कट्टर बनाने का काम किया जाता है।
पूर्व पुलिस आयुक्त ने बताया है कि दक्षिण भारत में PFI ने पूरी तरह अपना गढ़ बना लिया है। वहां इस संगठन का आतंक है। उत्तर-भारत में भी PFI बीते कई वर्षों से धीरे धीरे अपना पैठ बना रहा है। 2017 में असम में जाकर वहां अपनी मजबूत जड़े जमाने में सफल हो गया, क्योंकि वहां मुस्लिमों की काफी आबादी है। इस संगठन का मुख्य टारगेट युवा होता है। यह संगठन मुस्लिमों को एकजुट करने व शिक्षित करने के बहाने उनके सम्पर्क में आता है। इसके बाद शिक्षा के नाम पर उन्हें कंप्यूटर का प्रशिक्षण दिया जाता है। यह युवाओं को छोटे-छोटे स्तर पर लीडर बनने के लिए उकसाता है। ताकि आवश्यकता पड़ने पर उन युवाओं का इस्तेमाल किया जा सके।
एसएन श्रीवास्तव ने बताया है कि PFI बेहद शातिराना अंदाज में काम करता है। जांच एजेंसियों से बचने के लिए यह चंदा कैश में ही लेता है। दिखावे के लिए यह 10 से 50 हजार यानी छोटे चंदे की रसीद काटता है। ताकि जांच एजेंसियों की नज़रों में न आ सके। मोबाइल अथवा बैंक ट्रांजेक्श्न का उपयोग न के बराबर करता है। इसलिए जांच एजेंसियों को दंगे आदि में PFI की भूमिका को साबित करने में समस्या होती है।
क्या था दिल्ली का हिन्दू विरोधी दंगा ?
बता दें कि, 2020 दंगों को हिन्दू विरोधी दंगे इसलिए कहा जाता है, क्योंकि, दंगों का मुख्य आरोपी और आम आदमी पार्टी (AAP) का पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन खुद कबूल चुका है कि, उसने हिन्दुओं को सबक सीखाने के लिए यह साजिश रची थी। उसने इलाके के CCTV तुड़वा दिए थे और अपने लोगों को लाठी-डंडों और हथियारों को इकठ्ठा करने के लिए कहा था।जबकि, दूसरी तरफ हिन्दुओं को यह पता ही नहीं था, कि उन पर हमला करने के लिए कई दिनों से तैयारी चल रही है। किसी भी अनहोनी की आशंका से बेफिक्र हिन्दुओं पर जब हमला हुआ, तो वे खुद को बचा भी न सके। हिंदुओं की दुकानों को आग के हवाले किया जाने लगा, लूटा जाने लगा और पत्थरबाजी चालू हो गई। इन दंगों में 53 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 200 से अधिक घायल हुए थे। इसी हिन्दू विरोधी दंगे में इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) के अफसर अंकित शर्मा की भी हत्या की गई थी, उनके शरीर पर चाक़ू के 400 निशान मिले थे। यानी नफरत इस हद तक थी कि, मौत होने के बाद भी अंकित को लगातार चाक़ू मारे जा रहे थे, उनकी लाश AAP के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन के घर के पास स्थित एक नाले से मिली थी।
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