फूलन देवी का परिचय देना हो तो कोई एक शब्द या वाक्य उनके लिए नहीं मिलता है. एक दस साल की लड़की, जो कि अपने पिता की जमीन के लिए लड़ गई थी या एक बालिका-वधू, जिसका पहले उसके बूढ़े पति द्वारा रेप किया गया, फिर श्रीराम ठाकुर की गैंग ने उसका सामूहिक बलात्कार. एक खतरनाक डाकू, जिसने बेहमई गांव के 22 लोगों को लाइन में खड़ा कर एक के बाद एक गोली मार दी थी. आज उनकी पुण्यतिथि है, तो आइए जानिए उनके जीवन से जुड़ी कुछ ऐसी घटनाएं, जो आपको झकझोर कर रख देंगी...
जब फूलन महज 10 साल की उम्र की थी. तब ही 35 साल बड़े आदमी से उनकी शादी कर दी गई थी और शादी के बाद उनके पति द्वारा उनका रेप किया गया था, धीरे-धीरे फूलन की तबीयत इतनी बिगड़ गई कि उन्हें वापस अपने मायके आना पड़ गया. धीरे-धीरे फूलन की मुलाकात डाकूओं से हुईं. बाद में फूलन देवी चंबल की मुख्य डाकुओं में से एक बनीं. बाद में ठाकुरों ने फूलन को किडनैप कर लिया और बहमई गांव ले गए और 3 हफ्ते तक उनका गैंगरेप किया. इस दौरान फूलन देवी द्वारा रेप करने वाले दो लोगों को पहचान लिया गया और उसके बाद गांव के 22 ठाकुरों को उन्होंने गोली मार दी. यह उन पर आधारित फिल्म 'बैंडिट क्वीन' में भी दिखाया गया है.
फूलन राजनीति में भी सक्रिय रही. साल 1996 में फूलन देवी द्वारा समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ा गया और इस दौरान वे जीत गईं. मिर्जापुर से उन्हें सांसद चुना गया. चम्बल में घूमने वाली लड़की अब दिल्ली के अशोका रोड के शानदार बंगले में रहने लगी थी. साल 1998 में वे हार गईं, पर फिर 1999 में वहीं से जीती. जबकि आज ही के दिन साल 2001 में 18 साल पहले शेर सिंह राणा फूलन से मिलने आया था. नागपंचमी के दिन उनके हाथ से खीर खाई और फिर घर के गेट पर फूलन को शेर सिंह ने गोली मार दी थी. शेर सिंह ने कहा कि मैंने बेहमई हत्याकांड का बदला लिया है. 14 अगस्त 2014 को दिल्ली की एक अदालत द्वारा शेर सिंह राणा को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी.
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