इस्तांबुल: संग्रहालय से मस्जिद में बदली जा रही इस्तांबुल स्थित हागिया सोफिया में शुक्रवार को होने वाली पहली नमाज से पहले तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन अचानक पुन:परिवर्तन कामों का जायजा लेने पहुंच गए. राष्ट्रपति के प्रवक्ता इब्राहिम कालिन ने जानकारी दी कि इमारत को मस्जिद के रूप में उपयोग करने के लिए कार्य जारी है. शुक्रवार की नमाज के दौरान ईसाई धर्म से जुड़ी फोटोज को पर्दे से ढाका जाने वाला है. इतना ही नहीं तुर्की की शीर्ष अदालत द्वारा इमारत को 1934 में म्यूजियम में बदला जाने का फैसला गैरकानूनी करार देने के बाद एर्दोगन ने इस माह की शुरुआत में हागिया सोफिया को नमाज के लिए खोलने की घोषणा कर दी गई. तुर्की के धार्मिक प्रमुख कह चुके हैं कि नमाज की अवधि को छोड़कर बाकी समय यह इमारत सभी धर्मो के लोगों के लिए जारी रहने वाली है. छठी शताब्दी की यह इमारत को म्यूजियम बनाने से यह पहले चर्च और मस्जिद दोनों रह चुकी है और यूनेस्को की विश्व धरोहरों में सम्मलित है.
एर्दोगन के हागिया सोफिया को म्यूजियम से मस्जिद बनाने के फैसले की ईयू कड़ी आलोचना कर चुका है. EU के विदेश मुद्दों के प्रमुख ने कहा कि इस निर्णय से विभिन्न समुदायों के बीच अविश्वास और विघटन बढ़ने वाला है. वहीं, पोप फ्रांसिस ने भी हागिया सोफिया संग्रहालय को मस्जिद में बदलने के फैसले की निंदा की. उन्होंने कहा है कि तुर्की द्वारा लिए गए इस निर्णय से उन्हें बड़ा झटका लगा है.
जानकारी के लिए बता दें कि हागिया सोफिया इमारत का निर्माण साल 360 ईस्वी में हुआ था. उस वक़्त यह चर्च था. हागिया सोफिया इमारत के निर्माण के बाद तकरीबन 1 हजार साल तक यह दुनिया के प्रमुख चर्चो में से एक रहा. 15वीं शताब्दी में उस्मान बिजान्तिनों ने इस्तांबुल पर आक्रमण कर अपना कब्ज़ा कर लिया. इसके बाद इस चर्च को मस्जिद में बदल दिया गया. जब आधुनिक तुर्की के निर्माता ओटोमन साम्राज्य का तख्तापलट किया तो उन्होंने वर्ष इस इमारत को म्यूजियम घोषित कर दिया.
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