सनातन धर्म में प्रत्येक वर्ष फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को बड़े ही उत्साह के साथ फुलेरा दूज मनाई जाती है तथा इस दिन पूरे विधि-विधान से श्री राधा-कृष्ण की पूजा-अर्चना की जाती है. फुलेरा दूज के अवसर पर प्रत्येक वर्ष मथुरा में फूलों की होली खेली जाती है. मथुरा में फुलेरा दूज पर फूलों से होली मनाने की परंपरा कई वर्षों से चली आ रही है. इस पर्व की मान्यता है कि फुलेरा दूज के दिन श्री राधा-कृष्ण की विधि-विधान से पूजा एवं व्रत करने से लोगों के वैवाहिक जीवन में खुशहाली बनी रहती है.
इस वर्ष फुलेरा दूज का त्योहार फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि 11 मार्च को प्रातः 10:44 बजे शुरू हो जाएगी तथा इसका समापन 12 मार्च को सुबह 7:13 बजे होगा. उदया तिथि के मुताबिक, फुलेरा दूज का पर्व 12 मार्च को ही मनाया जाएगा. उदया तिथि के मुताबिक, इस दिन श्री राधा-कृष्ण की पूजा करने का शुभ मुहूर्त प्रातः 9:32 बजे से दोपहर 2 बजे तक रहेगा, क्योंकि सनातन धर्म में उदया तिथि बहुत अधिक महत्व है. इसलिए उदया तिथि के मुताबिक, पर्व मनाए जाते हैं.
सनातन धर्म में फुलेरा दूज का विशेष महत्व है. प्रभु श्री कृष्ण के भक्तों के लिए यह दिन बहुत ही विशेष होता है. इस दिन लोग सारे मांगलिक कार्य बिना किसी मुहूर्त के भी कर सकते हैं क्योंकि यह दिन बेहद शुभ होता है. इस लोग आप विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, वाहन खरीदना, जैसे सभी कार्य पूरे दिन कर सकते हैं. फुलेरा दूज के दिन श्री राधा कृष्ण का विभिन्न तरह के फूलों से श्रृंगार किया जाता है तथा घरों में फूलों से रंगोली बनाई जाती है. मथुरा-वृंदावन में सभी कृष्ण मंदिरों को फूलों से सजाया जाता है और राधा कृष्ण के संग फूलों की होली खेली जाती है.
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