प्रयागराज: उत्तर प्रदेश के मदरसों में दी जाने वाली इस्लामिक शिक्षा पर सवाल खड़े करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई है. इस याचिका में मदरसों पर बैन लगाने की मांग करते हुए कहा गया है कि मदरसों में कट्टरता का पाठ पढ़ाकर बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. धार्मिक शिक्षा के नाम पर बच्चों को भ्रमित किया जा रहा है. उनमे नफरत और कट्टरता भरी जा रही है. ऐसे में इन मदरसों पर बैन लगा देनी चाहिए.
इसके साथ ही याचिका में मांग की गई है कि मदरसों में धर्म विशेष की शिक्षा पर रोक लगाते हुए इन्हें उत्तर प्रदेश के बेसिक और माध्यमिक शिक्षा विभाग में शामिल कर देना चाहिए, वहीं मदरसे में उच्च संस्थानों को UGC से जोड़ देना चाहिए, ताकि यहां एडमिशन लेने वाले बच्चे सामान्य व रोज़गारपरक शिक्षा प्राप्त कर सकें. उन्हें ऐसी शिक्षा मिल सके, जिससे उनमें व्यक्तित्व का सही निर्माण हो सके और उन्हें रोज़गार पाने में आसानी हो. बच्चों में नफरत और कट्टरपंथी सोच विकसित होने की जगह सकारात्मक भाव पैदा हो और वह राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दे सकें.
यह जनहित याचिका इलाहाबाद की महिला वकील सहर नक़वी की ओर से दायर की गई है. जनहित याचिका में कहा गया है कि यूपी के अधिकतर मदरसों में धार्मिक शिक्षा के नाम पर जो कुछ परोसा जा रहा है, वह न केवल बच्चों का भविष्य खराब करने वाला है, बल्कि वह देश और समाज के लिए भी बेहद घातक है. जनहित याचिका के जरिए उच्च न्यायालय से यूपी में चल रहे मदरसों पर पाबंदी लगाकर उन्हें पूरी तरह बंद करने, मदरसों को बेसिक और माध्यमिक शिक्षा विभाग में मर्ज यानी विलय करने की मांग की गई है.
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