चीन सीमा के लिए तवाघाट-लिपुलेख सड़क के बनने से भारत चीन व्यापार सुगम हो जाएगा। बुनियादी सुविधा के अभाव में भारत-चीन व्यापार को लेकर व्यापारियों का मोह भंग हो रहा था। सड़क न होने के कारण पहले व्यापारियों को घोड़े-खच्चरों से धारचूला से गर्बाधार तक 45 किमी. वाहन से चलने के बाद सामान के साथ पैदल यात्रा शुरू करनी पड़ती थी।इसके बाद व्यापारियों को पहले गर्बाधार से मालपा 10 किमी., मालपा से बूंदी नौ किमी., बूंदी से गुंजी 18, गुंजी से कालापानी आठ, कालापानी से नाभीढांग आठ किमी. और नाभीढांग से तकलाकोट 25 किमी. पैदल चलने के बाद सामान तकलाकोट अंतरराष्ट्रीय मंडी तक सामान पहुंचाना पड़ता था।
धारचूला से लिपुलेख तक सड़क पहुंचने के बाद अब व्यापारियों को पैदल नहीं चलना पड़ेगा। चीन वर्ष 2000 में ही लिपुलेख तक सड़क पहुंचा चुका है। अब चीनी व्यापारी चीन से तकलाकोट तक 25 किमी. वाहन से आकर सीधे सामान उठा सकते हैं। सड़क के पहुंचने के बाद व्यापारियों में व्यापार बढ़ने की उम्मीद हैं। वरिष्ठ ट्रेड सहायक खीमानंद भट्ट का कहना है कि सड़क के बनने से व्यापारियों को राहत मिलेगी।कोरोना के चलते इस वर्ष भारत-चीन अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर भी खतरे के बादल मंडरा रहे हैं।
इस वर्ष व्यापार शुरू होने की न के बराबर उम्मीद है। एसडीएम अनिल कुमार शुक्ला का कहना है कि इस बार व्यापार नहीं हो पाएगा।वर्ष 2015 में 32,61,845 रुपये का आयात, 71,62,32,670 रुपये का निर्यात, वर्ष 2016 में 52,15,56 रुपये का आयात और 19,75,95,650 का निर्यात, वर्ष 2017 में 7,34,494 रुपये का आयात और 87,85,46,050 रुपये का निर्यात हुआ। वर्ष 2018 में 5,34,684 रुपये का आयात और 87,86,42,560 रुपये का निर्यात हुआ था।गुड़, मिश्री, दन, कालीन, माचिस, एल्यूमीनियम के बर्तन, बांस के डंडे, कूट्टू का आटा, सूखी मूली सहित कई अन्य चीजों का व्यापार किया जाता है।
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