पितृ कवच- कहते हैं पितरों को प्रसन्न करके शुभाशीष फल देने वाला यह पाठ माना जाता है और इसे बहुत पवित्र पाठ कहते हैं. ऐसे में श्राद्ध पक्ष के दिनों में प्रतिदिन इसका पाठ अवश्य करना चाहिए और ऐसा करने से पितर देव खुश होते हैं तथा हमें खुशहाल जीवन जीने का आशीष देकर जाते है. ऐसे में आज हम आपके लिए लेकर आए हैं पितृ कवच पाठ जिसका पंचमी के दिन पढ़ने का एक अलग ही महत्व होता है. तो आइए जानते हैं इस पितृ कवच को.
..पितृ कवच..
कृणुष्व पाजः प्रसितिम् न पृथ्वीम् याही राजेव अमवान् इभेन.
तृष्वीम् अनु प्रसितिम् द्रूणानो अस्ता असि विध्य रक्षसः तपिष्ठैः..
तव भ्रमासऽ आशुया पतन्त्यनु स्पृश धृषता शोशुचानः.
तपूंष्यग्ने जुह्वा पतंगान् सन्दितो विसृज विष्व-गुल्काः..
प्रति स्पशो विसृज तूर्णितमो भवा पायु-र्विशोऽ अस्या अदब्धः.
यो ना दूरेऽ अघशंसो योऽ अन्त्यग्ने माकिष्टे व्यथिरा दधर्षीत्..
उदग्ने तिष्ठ प्रत्या-तनुष्व न्यमित्रान् ऽओषतात् तिग्महेते.
यो नोऽ अरातिम् समिधान चक्रे नीचा तं धक्ष्यत सं न शुष्कम्..
ऊर्ध्वो भव प्रति विध्याधि अस्मत् आविः कृणुष्व दैव्यान्यग्ने.
अव स्थिरा तनुहि यातु-जूनाम् जामिम् अजामिम् प्रमृणीहि शत्रून्.
अग्नेष्ट्वा तेजसा सादयामि..
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