आज पितृ पक्ष की मातृ नवमी है. जी दरअसल पितृ पक्ष में इस दिन का एक बड़ा और विशेष महत्व माना जाता है. जी दरअसल इस दिन घर की उन सभी महिलाओं की पूजा होती है, जिनका निधन हो चुका है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन श्राद्ध करने से माताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है और श्राद्ध करने वाले व्यक्ति की सभी मनोकानाएं पूरी हो जाती हैं. जी दरअसल पितृ पक्ष की मातृ नवमी को सौभाग्यवती नवमी कहा जाता है. इसके अलावा इस दिन मातृ ऋण से भी मुक्ति मिल जाती है. अब आइए आपको बताते हैं मातृ ऋण कैसे पहचानें...?
मातृ ऋण - जी दरअसल जीवन में सबसे बड़ा ऋण माता का ही होता है. जी दरअसल चतुर्थ भाव, चन्द्रमा और शुक्र मुख्य रूप से माता और उन्ही से जुड़े सम्बन्ध के बारे में बताते हैं. कहा जाता है अगर कुंडली में राहु का सम्बन्ध चतुर्थ भाव चन्द्रमा या शुक्र से हो तो यह समझ लेना चाहिए कि कुंडली में मातृ ऋण है. इसके अलावा हाथों का कठोर होना और हथेलियों का काला होना भी मातृ ऋण होने के बारे में दर्शाता है. जी दरअसल अगर मातृऋण का शोधन ना हो पाए तो तमाम तरह की समस्याएं पैदा होती हैं. इस कारण से मातृऋण का शोधन मातृनवमी पर सरलता के साथ हो सकता है.
कुंडली में मातृऋण के उपाय - कहा जाता है इसके लिए मातृ नवमी के दिन सम्पूर्ण श्रृंगार की सामग्री लेकर आए. ध्यान रहे इसमें लाल रंग की साड़ी, सिन्दूर, बिंदी और चूड़ियां जरूर रखें. सम्पूर्ण भोजन बनायें , भोजन में उरद की बनी हुई वस्तुएं जरूर शामिल होना चाहिए. उसके बाद किसी सौभाग्यवती स्त्री को सम्मान सहित घर बुलाएं और उसे भोजन कराएं. अब आप उन्हें सम्पूर्ण श्रृंगार की सामग्री भेंट करें और आशीर्वाद लेकर उन्हें विदा कर दें.
जब महादेवी वर्मा से बोले थे बापू, - अंग्रेजों से हमारी लड़ाई चल रही है और तू विदेश जाएगी ...
IPL 2020: जहीर खान बोले- 'मुश्किल नहीं नए हालात में खेलना, लेकिन...'
'तारक मेहता का उल्टा चश्मा' के इस कलाकार की गर्दन की हुई सर्जरी