नई दिल्ली: देश में जारी जाति जनगणना की बहस के बीच सर्वोच्च न्यायालय में एक व्यक्ति ने एक अहम याचिका लगाई है. याचिकाकर्ता ने कोर्ट से मांग की है कि उसे जातिविहीन हिन्दू (Casteless Hindu) का सर्टिफिकेट प्रदान किया जाए. ऐसा सर्टिफिकेट जारी करने के लिए कोर्ट सरकारों को दिशा निर्देश जारी करे. पेश से डॉक्टर इस शख्स ने कोर्ट से प्रार्थना की है कि वह अपनी जातीय पहचान का प्रदर्शन नहीं करना चाहता है. याचिकाकर्ता ने कहा है कि उसके जैसे ही कई लोग हैं, जो जाति के पायदान में यकीन नहीं रखते हैं. उन्होंने कोर्ट से मांग की है कि अदालत सरकार को निर्देश दे कि वो ऐसे लोग को जातिविहीन हिन्दू का सर्टिफिकेट प्रदान करे.
इस व्यक्ति ने अदालत से मांग की है कि वो राज्य और केंद्र सरकारों को एक ऐसा तरीका विकसित करने के निर्देश दे, जिससे कि उसके ही जैसे कई लोग जो जाति व्यवस्था में विश्वास नहीं रखते हैं, ऐसे लोगों को सरकार वैसे हिन्दू के तौर पर मान्यता दे जिनकी कोई जाति नहीं है. दीपक दन्यान्श्वर हलवार नाम के इस व्यक्ति के मामले की पैरवी वकील सोफिया भामरी और अनिल चड्ढा नाम कर रहे हैं. इन वकीलों ने कहा कि सरकार उन लोगों के लिए कुछ नहीं कर रही है, जो अपनी जाति को तिलांजलि तो देना चाहते हैं, मगर हिन्दू के रूप में अपनी पहचान कायम रखना चाहते हैं.
वकीलों ने कहा कि ऐसी नीति से समाज में सकारात्मक परिवर्तन आएगा और ये ऐसे लोगों के लिए उत्साह बढ़ाने का काम करेगा जो अपनी जाति को तो छोड़ना चाहते हैं, मगर धार्मिक पहचान को कायम रखना चाहते हैं. याचिकाकर्ता का संबंध अत्यंत पिछड़ी जाति से है. उसका कहना कि वो जाति के बंधन को तोड़ना चाहता है और दूसरे लोगों के लिए मिसाल कायम करना चाहता है. इस शख्स का कहना है कि वो एक पढ़ा-लिखा व्यक्ति है और पेशे से डॉक्टर है और उसे अपना व्यक्तित्व बताने के लिए जाति प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं है. व्यक्ति ने कहा कि एक ऐसा नियम होना चाहिए कि वो अपने आप को जाति से परे घोषित कर सके इसके बाद भी हिन्दू रह सके.
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