नई दिल्ली: कोरोना महामारी के संकट के बीच देश के कई इलाकों में शव नदियों में फेंकने के मामले प्रकाश में आए हैं. यूपी-बिहार के कई राज्यों में नदी में तैरते हुए शव दिखाई दिए. अब यह मामला अदालत तक पहुंच गया है. बिहार और उत्तर प्रदेश में गंगा और यमुना नदियों में मिले शवों को लेकर सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की गई है.
वकील विनीत जिंदल ने यह याचिका दाखिल की है .याचिका में कहा गया है कि मौलिक अधिकार , मानवाधिकार, स्वास्थ्य का अधिकार और जीवन का अधिकार, जिसमें सम्मान के साथ मरने का अधिकार भी सम्मिलित है, यह प्रभावित हुआ है. याचिका में मांग की गई है कि सरकार केन्द्र, राज्य और ग्रामीण स्तर पर तीन स्तरीय कमेटी का गठन कर शवों का सम्मानपूर्वक संस्कार कराने का प्रबंध सुनिश्चित करे.
उल्लेखनीय है कि 15-16 मई को केंद्र सरकार ने एक समीक्षा बैठक की थी, जिसमे केंद्र सरकार ने कोरोना महामारी के बीच शवों को गंगा और इसकी सहायक नदियों में फेंकने के मामले को संज्ञान में लेते हुए अहम निर्देश दिए थे.
केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश और बिहार से कहा है कि शवों को गंगा और इसकी सहायक नदियों में फेंकने पर रोक लगाई जाए और उनके सुरक्षित, सम्मानजनक अंतिम संस्कार सुनिश्चित किया जाए. इस दौरान नदियों में शवों को फेंके जाने से रोकने तथा कोरोना मरीजों के शवों का अंतिम संस्कार पर्यावरण दिशानिर्देशों के मुताबिक, सुनिश्चित करने के लिए मुख्य सचिवों को चिट्ठी लिखी गई थी.
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