मुंबई उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र के पूर्व एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे की मौत के मामले में दायर याचिका पर अपना फैसला दे दिया है. न्यायालय ने मामले में जांच का आदेश देने से इंकार कर दिया. याचिका में कहा गया था कि, 26 नवंबर 2008 को हुए आतंकी हमले के दौरान हेमंत करकरे की मौत की साजिश दक्षिणपंथी चरमपंथियों द्वारा रची गई थी.
न्यायमूर्ति एस सी धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति भारती डांगरी की खंडपीठ जनहित याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि, “जनहित याचिका 2010 से लंबित है, इसमें कुछ नहीं है. हम जांच का निर्देश नहीं दे सकते हैं. याचिका को निपटाया जाता है.” गौरतलब है कि बिहार के पूर्व विधायक राधाकांत यादव ने अगस्त 2010 में अदालत में याचिका दायर की थी, जिसमें करकरे की मौत के मामले में जांच के लिए विशेष जांच टीम स्थापित किए जाने का आग्रह किया गया था. साथ ही दावा किया गया था कि करकरे को पाकिस्तानी आतंकवादियों अजमल कसाब और अबू इस्माइल ने नहीं मारा है, बल्कि असल में दक्षिणपंथी चरमपंथियों ने मारा.
उनका मानना है कि आतंकवाद विरोधी दस्ते एटीएस के पूर्व प्रमुख ने 2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले में दक्षिणपंथी समूह अभिनव भारत के कई सदस्यों को गिरफ्तार किया था. उसी का बदला लेने के लिए उनकी हत्या कर दी गई थी. यह जनहित याचिका महाराष्ट्र के पूर्व पुलिस महानिरिक्षक एस एम मुशरिफ द्वारा लिखी गई किताब ‘करकरे को किसने मारा’ पर आधारित है.
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