पूर्वी उत्तर प्रदेश के कस्बे मगहर को 'नरक का द्वार' कहा जाता है और पीएम मोदी यही से 2019 का बिगुल फुकने के तैयारी में है. पीएम मोदी आज मगहर में संत कबीर दास की 500वीं पुण्यतिथि पर उनकी परिनिर्वाण स्थली पर जाकर उनकी मजार पर चादर चढ़ाने के साथ ही कबीर अकादमी का शिलान्यास भी करने वाले है. यहाँ होने वाली मोदी की जनसभा को 2019 के लोकसभा चुनावों की तैयारियों की शुरुआत कहा जा है का प्रचार की शुरूआत के रूप में देख रही है.
कुछ समय पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15वीं शताब्दी के संत कबीर दास का जिक्र करते हुए कहा था कि कबीर ने 'लोगों को धर्म और जाति के विभाजन से ऊपर उठने और ज्ञान को पहचान का एकमात्र आधार बनाने की अपील की थी'. जनमानस को अब समझ आ रहा है कि पीएम मोदी को अचानक कबीर की इतनी फिक्र कहा से हो गई और क्यों ये प्रेम का सागर उमड़ा था. दरअसल पीएम यही से पिछड़ी जाति को साधने की शुरुआत भी कर रहे है.
इस पर कांग्रेस प्रवक्ता और पूर्व विधायक अखिलेश प्रताप सिंह कहते हैं, 'कबीर पाखंड के खिलाफ लड़े थे और प्रधानमंत्री का पाखंड मगहर में सामने आएगा. लोगों को इस तरह की तिकड़म से बेवकूफ नहीं बनाया जा सकता.' हिंदुओं और मुसलमानों में बराबर रूप में सम्मानित 15वीं शताब्दी के कवि संत कबीर दास का मगहर में एक मकबरा और समाधि है. संत कबीर के अनुयायियों को 'कबीर पंथी' के नाम से जाना जाता है, जो मुख्य रूप से दलित और पिछड़ी मानी जाने वाली हिंदू जातियों से आते हैं. उत्तर प्रदेश में वाराणसी से गोरखपुर तक उनका खासा प्रभाव है.
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