कोरोना वायरस ने ऑटोमोबाइल सेक्टर को बुरी तरह से प्रभावित किया है, लेकिन संभावनाओं को लेकर उम्मीदें अभी खत्म नहीं हुई हैं. सरकार मौजूदा माहौल में घरेलू ऑटोमोबाइल सेक्टर को राहत देने पर विचार कर रही है, जिससे न सिर्फ घरेलू बाजार में मांग बढ़ाने में मदद मिले, बल्कि वैश्विक बाजार में चीन के एक मजबूत विकल्प के तौर पर भी घरेलू उद्योग को स्थापित किया जा सके. ऑटोमोबाइल सेक्टर को कुछ वैसी ही राहत दिए जाने की संभावना है जैसी 2008-09 की मंदी के दौरान दी गई थी. इसके तहत शुल्कों में राहत का विकल्प भी सरकार के पास है.
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इस मामले को लेकर ऑटोमोबाइल सेक्टर के सूत्रों ने बताया कि उनकी सरकार के प्रतिनिधियों से कई चरणों में बातचीत हुई है. यह सहमति बन रही है कि देश में 10 लाख लोगों को प्रत्यक्ष और परोक्ष तौर पर रोजगार देने वाले इस सेक्टर को बड़ा राहत पैकेज देने की जरूरत है. उद्योग जगत पिछले वर्ष की मंदी के बाद से ही इस बात की मांग कर रहा है कि जीएसटी दर में राहत दी जाए. पहले सरकार की तरफ से तर्क था कि राजस्व संग्रह की स्थिति को देखते हुए ऑटो सेक्टर को टैक्स दर में राहत नहीं दी जा सकती. अब ऑटोमोबाइल की बिक्री एकदम ठंडी पड़ गई है. ऐसे में अगर जीएसटी दर घटाकर घरेलू मांग में बढ़ोतरी हो जाती है तो इससे सरकार के राजस्व में भी वृद्धि होगी. यह पैकेज भारत को ऑटोमोबाइल सेक्टर में चीन के एक विश्वसनीय विकल्प के तौर पर भी स्थापित करेगा. फिलहाल ऑटो सेक्टर पर 28 फीसद जीएसटी है.
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चीन को लेकर मौजूदा वैश्विक माहौल में इस बात की संभावना बनी हुई है कि संभवत: चीन निर्मित ऑटोमोबाइल को लेकर संशय की स्थिति रहेगी. भारत इस हालात का फायदा उठा सकता है. हाल ही में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने दुनिया की 11 बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनियों को अपने राज्य में प्लांट लगाने के लिए आमंत्रित किया है. इसमें से कई कंपनियां चीन में हैं. केंद्र सरकार का पैकेज इन कंपनियों को भी ध्यान में रख कर होगा.
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