नई दिल्ली: कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने आज सोमवार (16 अक्टूबर) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा और कहा कि पीएम को मणिपुर में जारी हिंसा से ज्यादा इजरायल-हमास युद्ध में दिलचस्पी है। चुनावी राज्य मिज़ोरम में बोलते हुए, गांधी ने कहा कि, "यह मेरे लिए आश्चर्यजनक है कि प्रधान मंत्री और भारत सरकार को इज़राइल में क्या हो रहा है, इसमें इतनी दिलचस्पी है, लेकिन मणिपुर में क्या हो रहा है, इसमें बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं है।"
राहुल गांधी ने जून में अपने मणिपुर दौरे का भी जिक्र किया और कहा कि उन्होंने जो देखा उस पर उन्हें विश्वास नहीं हुआ। कांग्रेस नेता ने मैतेई और कुकी समुदायों के बीच चल रहे संघर्ष का जिक्र करते हुए कहा कि, "भाजपा ने मणिपुर के विचार को नष्ट कर दिया है। यह अब एक राज्य नहीं है, यह अब दो राज्य हैं।" राहुल गांधी ने कहा, "लोगों की हत्याएं की गईं, महिलाओं से छेड़छाड़ की गई और बच्चों की हत्या कर दी गई, लेकिन प्रधानमंत्री को वहां यात्रा करना महत्वपूर्ण नहीं लगता।" उन्होंने कहा कि यह शर्म की बात है कि मई में पहली बार दो समुदायों के बीच हिंसा भड़कने के बाद से पीएम मोदी ने अभी तक मणिपुर का दौरा नहीं किया है। कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि मणिपुर में हिंसा सिर्फ "समस्या का एक लक्षण" है। उन्होंने कहा कि भारत के विचार पर हमला हो रहा है और देश के लोगों पर ''उत्पीड़न'' किया जा रहा है।
राहुल ने कहा कि, "मणिपुर में जो हुआ वह भारत के विचार पर भी हमला है।" इसके विपरीत, उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी की भारत जोड़ो यात्रा, जिसका उन्होंने नेतृत्व किया था, "इस देश के हर एक धर्म, संस्कृति, भाषा और परंपरा की रक्षा" के बारे में थी। राहुल गांधी ने सोमवार को आइजोल में चानमारी जंक्शन से राजभवन तक लगभग दो किलोमीटर की पदयात्रा की। वह दो दिवसीय दौरे पर मिजोरम में हैं। 40 सदस्यीय मिजोरम विधानसभा के लिए चुनाव 7 नवंबर को होने वाला है।
फिलिस्तीन के समर्थन में कांग्रेस ने पास किया प्रस्ताव:-
बता दें कि, राहुल जहाँ एक ओर आरोप लगा रहे हैं कि, पीएम इजराइल के युद्ध में अधिक दिलचस्पी ले रहे हैं, लेकिन वे शायद यह भूल रहे हैं कि, ये उनकी ही पार्टी कांग्रेस है, जिसने फिलिस्तीन के समर्थन में बाकायदा 'प्रस्ताव' पारित किया है। जबकि, प्रधानमंत्री ने एक देश पर हुए भयावह आतंकी हमले की ट्वीट के जरिए निंदा भर की है। इजराइल पर हुए वीभत्स हमले के दो दिन बाद यानी सोमवार (9 अक्टूबर) को कांग्रेस ने सुबह एक बयान जारी करते हुए इजराइल पर हुए हमले की निंदा की थी, हालाँकि, कांग्रेस ने हमले को 'आतंकी हमला' कहने से परहेज किया था। लेकिन, इसके बावजूद कांग्रेस के मुस्लिम समर्थक नाराज़ हो गए थे और सोशल मीडिया पर कांग्रेस को वोट न देने की धमकी देने लगे थे।
इसके बाद कांग्रेस ने उसी दिन शाम को बड़ा यू-टर्न लेते हुए अपनी वर्किंग कमिटी (CWC) की मीटिंग में बाकायदा फिलिस्तीन (आतंकी हमास का समर्थक) के समर्थन में एक प्रस्ताव पारित किया, यहाँ कांग्रेस ने इजराइल पर हुए हमले का कोई जिक्र ही नहीं किया। ये कदम कांग्रेस ने इसलिए उठाया है कि, उसका मुस्लिम वोट बैंक नाराज़ न हो, क्योंकि आने वाले दिनों में 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं और अगले साल लोकसभा चुनाव। लेकिन, ये भी एक बड़ा सवाल है कि, जिस हमास ने 40 मासूम बच्चों की निर्मम हत्या कर दी, महिलाओं के रेप किए, उन्हें नग्न कर घुमाया, बिना उकसावे के इजराइल के लगभग 900 लोगों का नरसंहार कर दिया, उसे आतंकी संगठन नहीं कहेंगे तो क्या कहेंगे ? दरअसल, भारत के अधिकतर मुस्लिम संगठन इजराइल-हमास युद्ध में फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास के साथ खड़े हैं, और मुस्लिमों को कांग्रेस का कोर वोटर माना जाता है, जिनके लिए पार्टी ने अपना बयान तक बदल डाला। गौर करने वाली बात ये भी है कि, मणिपुर के कुकी समुदाय के लोग भी इजराइल की डिफेंस फ़ोर्स में शामिल हैं और आतंकी हमास से लड़ रहे हैं।
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