नई दिल्ली: राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा को लेकर चल रही हलचलों को लेकर कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा की प्रतिक्रिया सामने आई है, उन्होंने कहा है कि देश में धर्म को बहुत अधिक अहमियत दी जा रही है और वे इस बात को लेकर चिंतित हैं। इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के चेयरमैन सैम पित्रोदा ने कहा कि जब पूरा देश राम मंदिर तथा राम जन्मभूमि पर अटका हुआ है। तो यह ट्रेंड वास्तव में मुझे परेशान करता है।
कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा ने पीएम नरेंद्र मोदी पर भी सवाल खड़ा किया। उन्होंने कहा कि एक पीएम अपना सारा वक़्त मंदिरों में ही दिखता है। इससे मुझे चिंता होती है। इसके बदले मैं ये चाहूंगा कि वे स्कूल जाएं, पुस्तकालय जाएं, विज्ञान के केंद्र जाएं और बार बार मंदिरों का दौरा न करें। पीएम पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि मैं देख रहा हूं कि देश में लोकतांत्रिक मूल्यों को कम किया जा रहा है। जब 10 वर्षों तक देश का पीएम रह चुका शख्स प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं करता है तो मुझे चिंता होती है। मुझे इस प्रकार के संकेत मिल रहे हैं कि हम गलत दिशा में जा रहे हैं।
धर्म को परिभाषित करते हुए पित्रोदा ने कहा कि धर्म निजी आस्था का मसला है। इसे राष्ट्रीय एजेंडा नहीं बना देना चाहिए। देश का एजेंडा शिक्षा, रोजगार, विकास, इकोनॉमी, महंगाई, स्वास्थ्य, पर्यावरण तथा प्रदूषण होना चाहिए। इन्हीं मूल्यों और आदर्शों पर आप एक आधुनिक राष्ट्र बनाते हैं, मुझे इससे मतलब नहीं है कि आप किस धर्म को मानते हैं। देश में दूरसंचार क्रांति की बुनियाद रखने का श्रेय पाने वाले सैम पित्रोदा ने कहा कि आप जो हैं इसके लिए मैं आपका सम्मान करूंगा, इसलिए नहीं की आप किस धर्म को मानते हैं। मैं इस बात को नहीं तय करूंगा कि आप क्या खाएं, या आप किसकी पूजा करते हैं, ये आपकी व्यक्तिगत आजादी है। तथा जब पूरा देश राम मंदिर और राम जन्मभूमि में अटक जाता है तो ये सचमुच में मुझे चिंतित करता है। धर्म निजी विषय है, इसका राष्ट्रीयकरण मत करिए। राजनीतिक फायदे के लिए इसका उपयोग मत करिए।
उन्होंने कहा कि एक पीएम हर वक़्त मंदिरों में वक़्त गुजार रहे हैं। इससे मुझे समस्या होती है, मैं चाहूंगा कि वह स्कूलों, पुस्तकालयों और वैज्ञानिक संस्थानों में जाए और बहुत सारे मंदिरों में न जाए।।।" कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा ने अगले आम चुनाव से उम्मीदों को लेकर कहा कि 2024 के चुनाव बहुत अहम हैं। हम चौराहे पर हैं, तथा भारत के लोगों को यह तय करना होगा कि वे किस तरह का राष्ट्र बनाना चाहते हैं। क्या वे एक हिंदू राष्ट्र का निर्माण करना चाहते हैं या वे एक ऐसे राष्ट्र का निर्माण करना चाहते हैं जो वास्तव में धर्मनिरपेक्ष तथा स्थानीय हो, जहां समावेशी विकास हो एवं जहां विविधता और स्थिरता पर ध्यान दिया जाए।
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