वर्ल्ड यूथ स्किल डे के अवसर पर दिया गया प्रधानमंत्री मोदी का संबोधन बहुत विशेष था. खास केवल इसलिए था क्योंकि आज प्रधानमंत्री मोदी के महत्वकांक्षी प्लान में से एक स्किल इंडिया मिशन को 5 साल पूरे हो गए. लेकिन इस दौरान उन्होंने अपने पुराने दिनों का वो वाकिया सुनाया जो बेहद दिलचस्प था. इसका आयोजन स्किल डेवलपमेंट मंत्रालय की ओर से डिजिटल कॉन्क्लेव के माध्यम से किया गया था.
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इसके माध्यम से युवाओं में स्किल का विकास किया जाता है. ताकि वो अधिक रोजगारपरक और अधिक प्रोडक्टीव बन सके. स्किल इंडिया मुहिम के माध्यम से लोगों की तकनीकी विशेषज्ञता को निखारने का कार्य किया जाता है. अपने भाषण में उन्होंने 21वीं सदी के युवाओं की स्किल को सबसे बड़ी शक्ति बताया है. उन्होंने ये भी बताया कि वर्तमान में विश्व के सामने आए कोरोना संकट ने नेचर ऑफ जॉब को चेंज कर दिया है.
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इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने खुद से जुड़ी एक घटना की जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि जवानी में ट्राइबल बेल्ट में एक वोलेंटियर के रूप में जब वे कार्य करते थे तो उन्हें कुछ संस्थाओं के साथ मिलकर कार्य करना होता था. एक बार संस्था के लोगों के साथ कहीं बाहर जाना था, तो सब उनकी जीप में ही सफर करने वाले थे. जीप से सभी को प्रातह ही निकलना था किन्तु ऐसा नहीं हो सका. जंगल में जीप बिगड़ गई. उसको कई बार धक्का लगाकर चालू करने का प्रयास किया गया. किन्तु सक्सेस नहीं मिली. दिन डल गया और शाम हो गई थी तब मैकेनिक को बुलाया गया. जिसमें शाम के 7-8 बज गए. मैकेनिक ने 2 ही मिनट में गाड़ी सही कर दी. जब उससे कहा गया कि कितने पैसे हुए तो उसने बताया कि बीस रुपये. इस पर उनके एक साथी ने बोला कि 2 मिनट के कार्य के 20 रुपये. उस समय 20 रुपये भी बहुत अधिक माने जाते है.
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