गुजरात के एक रेलवे स्टेशन पर चाय बेचने वाले नरेंद्र मोदी आज देश के पीएम पद को हासिल कर लिया. गरीबी में पले बढ़े और परेशानियों से भरी जिंदगी जीने वाले मोदी अतंत: राजनीति के शिखर तक पहुंच चुके हैं. 69 साल के नरेंद्र दामोदरदास मोदी अब 14वें पीएम के रूप में देश की सत्ता पर अपना कब्ज़ा जामा लिया. मोदी की कहानी मुंबइया फार्मूला फिल्म के जैसी लगती है. आज मोदी के पास गुजरात में 19 वर्ष तक शासन करने का प्रशासनिक एक्सपीरियंस है. सहयोगियों का मानना है कि मोदी में विपरीत अवसरों को बदलने की ताकत है, जिसके कारण वह नए मील के पत्थरों को गाड़ते हुए आगे बढ़ने में कामयाब हुए.
गुजरात के एक छोटे से गांव वडनगर के एक गरीब परिवार में 17 सितंबर 1950 को जन्मे नरेंद्र मोदी अपने माता-पिता की 6 संतानों में तीसरी संतान हैं. उनका परिवार एक छोटे से घर में रहता था, जहां सूरज की रोशनी भी पहुंचना मुश्किल थी और जमीन कच्ची थी. इतना ही नहीं घर में मिट्टी के तेल का दिया जलाकर अँधेरे को दूर किया जाता था. जंहा उनके परिवार को कई परेशानियों का भी सामना करना पड़ता था. उनके पिता वडनगर रेलवे स्टेशन पर चाय की दुकान का संचालन करते थे. वहीं बचपन में कुमार नाम से पुकारे जाने वाले नरेंद्र मोदी ट्रेनों में एक आने की चाय और दो आने की कड़क चाय बेचते थे. तब मोदी 6 वर्ष के थे. उन्हें रोज 5 बजे उठना पड़ता था. लेकिन जब उन्हें स्कूल जंहा होता था तब भी वे पहले ट्रेनों में चाय बेचकर उसके बाद अपने स्कूल जाते थे.
उनकी मां हीराबेन उस समय दूसरों के घरों में काम किया करती थी. लोगों के बर्तन साफ करती थीं. वे एक निजी कार्यालयों में कुएं से पानी भी पहुंचाया करती थीं. जब युवा मोदी इंडियन आर्मी में जाने के लिए एक परीक्षा में शामिल होना चाहते थे तब उनके पिता के पास उन्हें जामनगर कस्बे तक भेजने के लिए रूपये नहीं थे. जंहा डिप्रेशन के कारण वह साधु बन गए. कुछ वक़्त के साथ मोदी संन्यासी की तरह रहने लगे. 17 वर्ष की आयु में उन्होंने अपने परिवार को बताया कि वे सत्य की तलाश में गृह त्याग करने का फैसला लेने वाले थे. 1970 में उन्होंने घर छोड़ दिया. वे संत होना चाहते थे.
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