नई दिल्ली: पीएम मोदी को लेकर अमेरिका बेस्ड NRI बिजनेसमैन एवं प्रवासी भारतीय सम्मान अवार्डी दर्शन सिंह धालीवाल ने बड़ा दावा किया है। धालीवाल ने अंग्रेजी अखबार से चर्चा करते हुए कहा है कि मुझे हवाईअड्डे से वापस भेजे जाने वाली घटना को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी ने अप्रैल 2022 में मांफी मांगी थी। रिपोर्ट के मुताबिक, बिजनेसमैन दर्शन धालीवाल ने कहा कि पीएम मोदी ने 150 व्यक्तियों के सामने मुझसे माफी मांगी एवं उन्होंने (पीएम मोदी) कहा कि 'हमसे बड़ी गलती हो गई, आपको भेज दिया, पर आपका बहुत बड़ा बड़प्पन है जो आप हमारे बोलने पर फिर भी आ गए।'
राजधानी दिल्ली में बॉर्डर के पास किसान आंदोलन में लंगर की व्यवस्था करने के इल्जाम में दर्शन सिंह धालीवाल को 23 और 24 अक्टूबर 2021 की रात में दिल्ली हवाईअड्डे से लौटा दिया गया था। मंगलवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मू से प्रवासी भारतीय सम्मान अवार्ड पाने के बाद मीडिया से चर्चा करते हुए धालीवाल ने कहा कि अप्रैल 2022 में पीएम के आधिकारिक आवास पर एक सिख प्रतिनिधिमंडल की मेजबानी के चलते प्रधानमंत्री मोदी ने यह बात कही थी। रिपोर्ट के मुताबिक, इस बैठक में दुनिया भर के सिख कारोबारियों ने हिस्सा लिया था। इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए 1972 में अमेरिका चले गए धालीवाल अमेरिका में फ्यूल स्टेशन चलाते हैं। पीएम दफ्तर की तरफ से 29 अप्रैल 2022 को जारी बयान में पीएम नरेंद्र मोदी ने सिखों के योगदान की प्रशंसा करते हुए कहा था कि इस समुदाय ने अन्य देशों के साथ भारत के संबंध को मजबूत करने में एक महत्वपूर्ण कड़ी के तौर पर काम किया है।
फ्लाइट से वापस भेजे जाने वाले दिन को याद करते हुए दर्शन सिंह धालीवाल ने कहा कि हवाईअड्डे पर अफसरों ने उन्हें दो विकल्प दिए थे। धालीवाल ने कहा है कि अफसरों ने पहला विकल्प लंगर रोकने एवं किसानों से मध्यस्थता करने का दिया तथा दूसरे विकल्प के तौर पर वापस जाने के लिए कहा। दर्शन सिंह धालीवाल ने कहा कि उन्हें समस्या मेरी ओर से चलाए जा रहे लंगर से थी जबकि किसान आंदोलन के दौरान मेरी तरफ से लंगर की व्यवस्था मानवीय पहलू को ध्यान में रखते हुए की गई थी। उन्होंने बोला कि दिसंबर 2022 में जब किसान दिल्ली आए तो आधी रात में बारिश आरम्भ हो गई थी। मैंने वीडियो में देखा कि इस ठंड में भी वो पानी में सो रहे थे। मुझे लगा कि इन लोगों की सहायता की आवश्यकता है। इसलिए मैंने लंगर लगाने और ठहरने के लिए टैंट प्रदान कराने, चारपाई, कंबल और रजाई देने का फैसला किया। प्रदर्शनकारी किसानों के समर्थन का राजनीतिक कारण पूछे जाने पर धालीवाल ने कहा कि मेरी तरफ से यह व्यवस्था मानवीय सहायता के रूप में थी। इसका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं था। मैंने यह काम लोगों के हित के लिए किया था। भारत सरकार की तरफ से वापस भेजे जाने के फैसले पर उन्होंने कहा कि यही तो नियति है। भारत सरकार ने मुझे किसी वजह से वापस भेज दिया था तथा आज वे मुझे सर्वोच्च पुरस्कार से सम्मानित कर रहे हैं। यह भगवान की दया है। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार से कई पुरस्कार मिले चुके हैं। मगर केंद्र सरकार की तरफ से यह पहला है।
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