नई दिल्ली : यह बात किसी हैरानी से कम नहीं है कि आजादी के बाद से अभी तक किसी भी भारतीय प्रधान मंत्री ने इजराइल की यात्रा नहीं की है. लेकिन यह सिलसिला अब टूट रहा है, क्योंकि पीएम मोदी आगामी जुलाई में इजराइल की यात्रा पर जाएंगे.हालांकि इस मौके पर मोदी फलस्तीन नहीं जाएंगे,जबकि पूर्व में इसकी सम्भावना जताई गई थी.
उल्लेखनीय है कि मोदी के इस इजरायल दौरे को ऐतिहासिक बताया जा रहा है.इस यात्रा को दोनों देशों के बीच रिश्तों की नई शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है. मोदी के इजरायल दौरे पर फलस्तीन को नजरअंदाज करना भारत की विदेश नीति में बदलाव के तौर पर भी देखा जा रहा है.बता दें कि भारत इन दोनों देशों को लेकर अपने रिश्तों केसार्वजनिक प्रदर्शन से परहेज करता रहा है.लेकिन मोदी का दौरा इजरायल के साथ भारत के रिश्तों को खुलेआम मंजूर करने जैसा है.मोदी इजरायली पीएम बेंजामिन नेतान्यहू से मिलेंगे.
भले ही पीएम मोदी फलस्तीन नहीं जा रहे हैं, लेकिन भारत इस साल फलस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास की मेजबानी कर सकता है.भारत में फलस्तीन के राजदूत अदनान अबु ने कहा हमारे प्रेसिडेंट इस साल भारत आएंगे. पिछले एक दशक के दौरान इजरायल भारत के रक्षा खरीद में 7 फीसदी हिस्सेदारी हासिल कर चुका है. हाल ही में मोदी सरकार ने इजरायल से एयर डिफेंस सिस्टम खरीदने के 17 हजार करोड़ रुपए की डील को मंजूरी दी है.
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