पित्रोदा पर सच हुई पीएम मोदी की भविष्यवाणी, चुनावों के दौरान कही थी ये बात

पित्रोदा पर सच हुई पीएम मोदी की भविष्यवाणी, चुनावों के दौरान कही थी ये बात
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नई दिल्ली: कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा एक बार फिर से सत्यनारायण गंगाराम पित्रोदा यानी सैम पित्रोदा को ओवरसीज कांग्रेस का चीफ बना दिया है, वे कई सालों से इस पद को संभाल रहे हैं। राहुल गांधी की विदेश यात्रा, वहां उनकी अन्य लोगों से मुलाकात और कांग्रेस की रणनीति, इन सबमे सत्यनारायण गंगाराम पित्रोदा का अहम रोल रहता है। लेकिन, इस घटना से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक  भविष्यवाणी जरूर सच हो गई है, जो उन्होंने चुनाव से पहले की थी। 

आम चुनाव के दौरान एक इंटरव्यू में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि, "कभी-कभी मुझे लगता है पार्टी (कांग्रेस) पूरी योजना बनाकर ऐसे लोगों के जरिए कोई शिगूफे छोड़ती है। वो अकेले अपनी मर्जी से ये सब करते होंगे, ऐसा मुझे नहीं लगता है। क्योंकि जब हो-हल्ला होता है, तो कांग्रेस से कुछ दिनों के लिए निकालते हैं, फिर वापस वो लोग पार्टी की मुख्य धारा में आ जाते हैं। उन्होंने सैम पित्रोदा से अभी त्यागपत्र दिला दिया, लेकिन कुछ दिन के बाद (चुनाव के) फिर उन्हें वही पद दिया जाएगा। ये उनकी (कांग्रेस की) सोची समझी रणनीति है, जिसमें भ्रम उत्पन्न करना, माहौल बदलना, नये-नये मुद्दे उछालते रहना, ऐसी चालाकियां वो करते रहते हैं।"

उल्लेखनीय है कि, आम चुनाव के दौरान अपने दो बयानों के चलते बड़ा सियासी विवाद खड़ा होने और कांग्रेस को बैकफुट पर लाने के बाद सैम पित्रोदा ने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया था। चुनावों के दौरान सैम पित्रोदा ने कहा था कि, "अमेरिका में विरासत टैक्स लगता है। यदि किसी के पास 100 मिलियन डॉलर की संपत्ति है और जब उसकी मौत होती है, तो वह अपने बच्चों को उसका सिर्फ 45 फीसदी ही ट्रांसफर कर सकता है, जबकि 55 फीसदी सरकार अपने पास रख लेती है। भारत में भी ऐसा होना चाहिए।" 

पित्रोदा के इस बयान की जमकर आलोचना हुई थी। दरअसल, भारत में 40 साल पहले तक यह कानून प्रभावी था, 1985 में राजीव गांधी सरकार ने इंदिरा गांधी की संपत्ति को अपने पास ही रखने के लिए इस कानून को ख़त्म कर दिया था। पहले, संपत्ति शुल्क अधिनियम 1953 के तहत, किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति पर विरासत टैक्स 85% तक जा सकता था। दरें तय की गईं थीं, 20 लाख रुपये से अधिक की संपत्ति पर 85% टैक्स लगाया गया था। हालाँकि, ये कानून मंशा के अनुरूप काम नहीं कर सका। नागरिकों को दो बार संपत्ति कर देना पड़ता था, एक बार अपने जीवनकाल के दौरान (जिसे 2016 में मोदी सरकार ने रोक दिया था) और फिर उनकी मृत्यु के बाद। इसके अतिरिक्त, इस कर के माध्यम से धन जुटाने की कांग्रेस की योजना सफल नहीं रही, क्योंकि बेनामी संपत्ति और संपत्ति छुपाने के मामले बढ़ गए। लोग टैक्स देने से बचने के लिए अपनी संपत्ति छुपाने लगे और काला धन बढ़ने लगा, जिससे गुंडागर्दी भी बढ़ी और रंगदारी भी। जिसने संपत्ति छुपाई है, उससे गुंडे खुलकर हफ्ता मांग सकते थे और वो पुलिस में शिकायत भी नहीं कर सकता था, वरना खुद फंसता।  

दिलचस्प बात यह है कि संपत्ति शुल्क अधिनियम को ठीक उसी समय निरस्त किया गया था, जब पूर्व प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी की संपत्ति उनके पोते-पोतियों को हस्तांतरित की जानी थी। राजीव गांधी सरकार ने इंदिरा गांधी की लगभग 21।5 लाख रुपये की संपत्ति उनके तीन पोते-पोतियों को हस्तांतरित करने से ठीक पहले अप्रैल 1985 में इस अधिनियम को समाप्त कर दिया। यह संपत्ति, जिसकी कीमत अब लगभग 4।2 करोड़ रुपये है, 2 मई 1985 को स्थानांतरित कर दी गई थी।

मिडिल क्लास पर टैक्स बढ़ाएंगे :- पित्रोदा

इसके अलावा सैम पित्रोदा के एक और बयान पर बवाल मचा था। जब इंटरव्यू में उनसे पुछा गया था कि, कांग्रेस महिलाओं को खटाखट 1 लाख, बेरोज़गारों को 1 लाख, सभी फसलों पर MSP, हर बार किसानों का कर्जा माफ़, के जो चुनावी वादे कर रही है, उसके लिए पैसा कहाँ से आएगा ? क्योंकि, यदि 150 करोड़ की आबादी में 25 करोड़ गरीब महिलाएं भी मानें, तो साल के 25 लाख करोड़ उन्ही को चले जाएंगे, जो देश के कुल बजट का आधा हिस्सा है। इस सवाल के जवाब में पित्रोदा ने कहा था कि, भारत का मध्यम वर्ग स्वार्थी है, उन्होंने पैसे जुटाने के लिए मध्यम वर्ग पर टैक्स बढ़ाने की हिमायत की थी। यानि वे कांग्रेस को चुनावी गारंटियां पूरी करने के लिए मध्यम वर्ग पर टैक्स बढ़ाने की सलाह दे रहे थे। 

दक्षिण भारतीय लोग अफ्रीकी जैसे :-

एक अन्य बयान में राहुल गांधी के राजनितिक गुरु माने जाने वाले सैम पित्रोदा ने कहा था कि, ''भारत में पूर्व के लोग चीनियों की तरह दिखते हैं, पश्चिम के लोग अरब जैसे दिखते हैं, उत्तर के लोग अंग्रेज़ों जैसे दिखते हैं और शायद दक्षिण के लोग अफ़्रीकी जैसे दिखते हैं।" पित्रोदा की इस नस्लीय टिप्पणी पर भी काफी बवाल मचा था और किरकिरी से बचने के लिए उन्हें ओवरसीज कांग्रेस अध्यक्ष के पद से हटा दिया गया था, ताकि पित्रोदा के बयान चुनाव में कांग्रेस का नुकसान ना कर दे। उसी वक़्त पीएम मोदी ने इससे जुड़े सवाल पर कहा था कि, ये कांग्रेस की सोची समझी रणनीति है, कुछ समय बाद वो पित्रोदा को वापस से वही पद देगी, जो आज सच हो गया। इससे पहले भी पित्रोदा ने 1984 के सिख विरोधी दंगों को लेकर बेहद आपत्तिजनक बयान दिया था। जब कांग्रेस समर्थकों ने सिखों के गले में टायर डालकर उन्हें जिन्दा जला दिया था। इसको लेकर पित्रोदा ने कहा था कि, ''1984 पर क्या बात करना, 84 में जो हुआ तो हुआ।'' उनके इस बयान पर भी कांग्रेस की आलोचना हुई थी, इसके बाद कुछ दिनों के लिए पित्रोदा सुर्ख़ियों से बाहर हो गए थे, किन्तु अब वापस उन्हें ओवरसीज कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया गया है।    

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