पोर्ट ब्लेयर: प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पोर्ट ब्लेयर में वीर सावरकर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के नए एकीकृत टर्मिनल भवन (NITB) का वर्चुअली उद्घाटन किया। एयरपोर्ट पहुंचे केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने परिसर में वीर सावरकर की प्रतिमा का अनावरण किया और प्रतिष्ठान का दौरा किया। उनके साथ केंद्रीय सड़क, परिवहन और राजमार्ग और नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री जनरल (रिटायर) वीके सिंह भी थे।
The new integrated terminal building at Veer Savarkar International Airport, Port Blair, will ensure easier travel to Andaman and Nicobar islands. This will be a big boost for tourism in particular. The building will be inaugurated tomorrow, 18th July, at 10:30 AM. https://t.co/iGP2ZLJxYl pic.twitter.com/i2QK2rwArO
— Narendra Modi (@narendramodi) July 17, 2023
रिपोर्ट के अनुसार, यह इमारत एक शंख के आकार की है, जो द्वीपों के प्राकृतिक वातावरण को दर्शाती है। उन्होंने कहा कि पूरे टर्मिनल में दिन में 12 घंटे के लिए 100 फीसद प्राकृतिक रोशनी होगी, जो छत पर रोशनदान के माध्यम से हासिल की जाएगी। यात्री यातायात में वृद्धि के कारण, भारतीय हवाईअड्डा प्राधिकरण (AAI) ने 707.73 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत पर NITB का निर्माण किया। सोमवार को पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर टर्मिनल बिल्डिंग की कुछ तस्वीरें पोस्ट की थीं. नए टर्मिनल भवन का कुल निर्मित क्षेत्र 40,837 वर्ग मीटर है और इसकी क्षमता वार्षिक लगभग 40 लाख यात्रियों को संभालने की होगी।
बता दें कि, 3 मंजिला इमारत 28 चेक-इन काउंटर, तीन यात्री बोर्डिंग ब्रिज और चार कन्वेयर बेल्ट से सुसज्जित होगी। टर्मिनल भवन के वर्चुअल उद्घाटन के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि, "अब तक, वर्तमान टर्मिनल की क्षमता प्रतिदिन 4,000 पर्यटकों को संभालने की थी। हालांकि, इस नए टर्मिनल के साथ, क्षमता बढ़कर 11,000 पर्यटकों तक पहुंच गई है।" पीएम मोदी ने कहा कि, "पिछले नौ वर्षों में, हमने संवेदनशीलता के साथ पूर्ववर्ती सरकारों की गलतियों को सुधारा है और नई सुविधाएं भी बनाई हैं।"
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि, "भारत में विकास का एक नया मॉडल सामने आया है, जो सबको साथ लेकर चलने का है। यह मॉडल है 'सबका साथ, सबका विकास'।" प्रधान मंत्री ने कहा, "भारत में लंबे समय तक, कुछ दलों की स्वार्थी राजनीति के कारण विकास केवल बड़े शहरों तक ही सीमित था, जिसके कारण आदिवासी और द्वीप क्षेत्र विकास से वंचित रह गए।"